महाकुंभ 2025 के अंतर्गत गंगा पंडाल में आज भारतीय गणतंत्र की 76वीं वर्षगांठ पर कला, संगीत और नृत्य की अद्भुत प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ सेना के जवानों द्वारा राष्ट्रभक्ति धुनों से हुआ, जिसमें गेरेन्डियर्स रेजिमेंटल सेंट्रल बैंड, जबलपुर और आर्मी एजुकेशन कॉर्पस सेंटर एंड ट्रेनिंग, पंचमणि के कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। विभिन्न वाद्य यंत्रों जैसे सितार, तबला, बांसुरी, सैक्सोफोन, और बिगुल के संयोजन ने पंडाल को राष्ट्रभक्ति के रंग में रंग दिया।

संगीत और नृत्य ने बांधा समां
कार्यक्रम की मुख्य प्रस्तुतियों में सुप्रसिद्ध वायलिन वादक सुश्री कला रामनाथ ने अपनी कला से सभी को मोहित किया। उन्होंने प्रसिद्ध रागों पर वायलिन वादन प्रस्तुत किया, जिसे तबले पर श्विमल वेंकटराम ने कुशल संगति दी। उनके द्वारा प्रस्तुत भजन “पायो जी मैंने” को दर्शकों ने खूब सराहा।

इसके बाद कुचिपुड़ी नृत्यांगना सुश्री दीपिका रेड्डी ने अपने भावपूर्ण नृत्य से पंडाल में भारतीय संस्कृति की छवि प्रस्तुत की। उन्होंने शिव और पार्वती के विवाह, गंगा अवतरण, और भागीरथी प्रसंग जैसे पौराणिक प्रसंगों को जीवंत कर दिया।

पार्श्वगायिका सुश्री साधना सरगम ने शिव धुन ‘ॐ नमः शिवाय’, भजन ‘ओ पालन हारे’ और ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ जैसी प्रस्तुतियों से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। उनके भजनों पर दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ अपनी प्रशंसा व्यक्त की।

स्थानीय कलाकारों का सम्मान
कार्यक्रम के अंत में नगर निगम लखनऊ के जोनल अधिकारी द्वारा प्रस्तुत स्वरचित भजनों ने पंडाल को भावुक कर दिया। उनकी प्रस्तुति को संस्कृति विभाग द्वारा सराहना और पुरस्कार मिला।

यह कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। गंगा पंडाल में उपस्थित दर्शकों ने इन प्रस्तुतियों को भारतीय कला और संस्कृति का अद्वितीय उत्सव बताया।

प्रयागराज के महाकुंभ मेला क्षेत्र से सुशांत त्रिपाठी की रिपोर्ट

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