जाने कितने ही शादीशुदा पुरुष ऐसे हैं जो झूठे केस में तबाह होकर..!!

कानूनों का दुरुपयोग सिर्फ पति को ही नहीं,बल्कि उसकी मां-बहनों को भी भुगतना पड़ता..!!

पति पत्नि का रिश्ता विश्वास से बंधा होता है और यही विश्वास अगर टूट जाएं तो अच्छे से अच्छा रिश्ता भी ढेर हो जाता हैं और अब देखने मे यह भी आ रहा हैं कि इन रिश्तों को कुछ महिलाएँ शर्मसार करके सामने वाले को अपने जीवनलीला समाप्त करने पर मजबूर तक कर देती हैं तो वही कानून की रखवाली करने वाले भी कही ना कही इंसाफ तक नही कर पा रहें हैं!आज कल सोशल मीडिया पर अतुल सुभाष का जिक्र हो रहा है।रहा है शायद कुछ दिनों तक और होगा, फिर सब भूल जाएंगे। जैसे पहले वाले हजारों अतुल को भुला दिए गए!पति के पूरे परिवार को बर्बाद करके उनसे लाखों रुपए ऐंठने के थोड़े दिन बाद पत्नी अपना जीवन जिएगी!देश का कोई कानून उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा!महिला कानूनों का दुरुपयोग कोई नई बात नहीं रही,अब ये हर दूसरे तीसरे घर की कहानी हो गई है!फिर भी समाज के भीतर कोई प्रतिक्रिया नही हो रही!जाने कितने ही शादीशुदा पुरुष ऐसे हैं जो झूठे केस में तबाह हुए हैं जिन्होंने अपनी जान दे दी!महिलाओं के लिए कानून बनें,उनकी सुरक्षा हो, इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं है।सबके घर में मां-बहनें हैं, लेकिन इन कानूनों का दुरुपयोग सिर्फ पति को ही नहीं,बल्कि उसकी मां-बहनों को भी भुगतना पड़ता है! यह दुरुपयोग रुकना चाहिए। तलाक और दहेज संबंधी कानून में पुरुषों की सुनवाई के लिए भी कोई गुंजाइश हो। पत्नी को पति से दिक्कत होती है लेकिन पूरे खानदान को पीसना पड़ता है कोतवाली में चाचा चाची माता-पिता दादा दादी भाई भतीजे रिश्तेदार सभी से उत्पीड़न दिखाया जाता है जबकि इन सब का केस से कोई मतलब ही नहीं होता प्रथम दृष्टि में जब कोतवाली में जाकर रिपोर्ट दर्ज होती है तो महिला इन सभी का नाम लिखवा देती है हालांकि अधिकारियों को जानकारी होती है लेकिन महिला को देखकर दी गई तहरीर पर गिरफ्तारी की कार्यवाही चालू हो जाती है कानून का दुरुपयोग किया जाता है कई लाखो लोग तो ऐसे होंगे जो अपना सम्मान प्रतिष्ठा इज्जत बचाने के लिए चुप रह जाते हैं मीडिया से सोशल मीडिया से न्यूज़पेपर से अपना नाम ना छप जाए बहुत डर लगने लगता है, जैसे तैसे करके मामले को खत्म करना चाहते हैं लेकिन महिला व उसके परिजन जिंदगी बर्बाद करने में लगे रहते हैं हमारा कहना यह नहीं है कि महिलाओं पर अत्याचार होता है तो उसकी जांच की जाए और लड़के पक्ष से भी सुनवाई बराबर की होनी चाहिए क्योंकि हमारे बुजुर्ग कहते थे की ताली एक हाथ से नहीं बजती ताली दोनों हाथों से बजती है लेकिन आज कानून कुछ महिलाओं के हाथ में इतने कि पुरुष के लिए कुछ बचता ही नहीं है अकेला घुट घुट कर मर जाता है और सुनवाई नही होती लेकिन सुभाष जैसे केस में ताली एक हाथ से ही बज रही है यह अकेला केस नहीं, बहुत केस ऐसे हैं जो सामने उजागर भी नहीं होते

पंडित जुगनू शर्मा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *