



रायपुर :- छत्तीसगढ़ सरकार का नया फरमान – अब पत्रकार सरकारी अस्पतालों में रिपोर्टिंग नहीं कर सकते, जब तक कि ‘जनसंपर्क अधिकारी’ या ‘मीडिया लायजन अफसर’ की अनुमति न ले लें।यह आदेश 13 जून 2025 को चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया है।प्रदेश में अवैध व्यापार, अवैध खनन, बढ़ते अपराध—ये सब क्या सुशासन के प्रमाण हैं? स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जो घोटाले और काले कारनामे सामने आते हैं, वे किसी से छिपे नहीं हैं।और अब अस्पतालों में प्रेस और मीडिया को दिशा-निर्देश देना… ये ‘सुशासन’ नहीं, ‘दुशासन’ है!”सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी मीडिया सेंसरशिप नहीं होनी चाहिए!ग्राउंड रिपोर्टिंग पर ऐसे अंकुश लगाने से माफियाओं को खुली छूट मिल जाएगी।”क्या अब पत्रकार को मेडिकल माफिया से परमिशन लेकर पूछना होगा — ‘हम आपकी चोरी और घोटाले की कवरेज कर सकते हैं क्या?’ये आदेश नहीं, एक षड्यंत्र है — मेडिकल घोटालों को ढंकने का।” *ब्लॉक स्तर तक फैला है भ्रष्टाचार** यह सच दिखाने की कोशिश को पहले ही रोक देने की साजिश है।यह पत्रकारिता को “जनसंपर्क विभाग” का हिस्सा बनाने का प्रयास है।यह जनता के जानने के अधिकार पर हमला है।इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए।पत्रकारों को सरकारी/प्राइवेट अस्पतालों में स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग की अनुमति दी जाए।मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानते हुए उसका सम्मान सुनिश्चित किया जाए। यदि आज पत्रकार चुप रहे तो कल सच बोलने की आज़ादी भी छिन जाएगी।*सुशासन तिहार मनाने वाली सरकार अब सिर्फ अपना गुणगान चाहती है, जबकि छत्तीसगढ़ की जनता सरकार से नाखुश है।
रिपोर्ट : एन के सिन्हा
