
गोंदिया: यहां के गटशिक्षा अधिकारियों द्वारा संबंधित शिक्षकों के खिलाफ की गई कार्रवाई में यह बात सामने आई है कि वरिष्ठ वेतनमान का लाभ लेने के बावजूद कुछ शिक्षकों को राज्य सरकार द्वारा आदिवासी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत समूह ‘अ’ से ‘ड’तक के अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतनमान के संबंध में जारी शासकीय निर्णय के मापदंडों की अनदेखी करते हुए वरिष्ठ वेतनमान पर एकल वेतनमान निर्धारित कर अवैध रूप से लाखों रुपए का भुगतान किया गया है। समूह शिक्षा अधिकारियों की इस कार्रवाई से जिला परिषद में बड़ी गड़बड़ी होने की संभावना है।सामान्य प्रशासन विभाग के 6 अगस्त 2002 के शासकीय निर्णय के अनुसार राज्य सरकार के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विशेष कार्यवाही कार्यक्रम के अंतर्गत आदिवासी एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्य करने हेतु प्रोत्साहन स्वरूप समूह ‘क’ से ‘घ’ तक के समस्त शासकीय सेवा कर्मचारियों एवं अधिकारियों को उस क्षेत्र में कार्यरत रहने की अवधि के लिए उनके द्वारा धारित मूल पद के निकट वरीय पदोन्नति एवं वेतन निर्धारण का लाभ दिया जाना है। सरकार के निर्णय में यह भी कहा गया है कि वरिष्ठ वेतनमान का लाभ उन कर्मचारियों को नहीं मिलेगा, जिन्हें सेवाकालीन सुनिश्चित प्रगति योजना का लाभ दिया गया है।इस बीच, समूह शिक्षण अधिकारी अनिल चव्हाण ने देखा कि तालुका के कुछ शिक्षकों ने वरिष्ठ वेतनमान का लाभ लेने के बावजूद, वरिष्ठ वेतनमान पर एकल वेतनमान तय किया था और जिप के मुख्य लेखा और वित्त अधिकारी द्वारा लाखों रुपयों का अनियमित बकाया स्वीकृत किया था। इस बीच, उन्होंने जिप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का ध्यान इस ओर दिलाया कि वेतन निर्धारण प्रक्रिया में त्रुटि है।इस पर उन्होंने एमसीए के आदेश से सेवा पुस्तिका में त्रुटिपूर्ण प्रकरण अंकित करते हुए कहा कि उक्त शिक्षकों का वेतनमान एकल स्तर पर वरिष्ठ वेतनमान पर निर्धारित किया जाना अनुमन्य नहीं है। इस कार्रवाई से समान वेतनमान तय करने के नाम पर शिक्षकों से की जा रही लूट उजागर हो गई है। हालांकि, समूह शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई यह कार्रवाई कुछ तथाकथित अध्यापक यूनियनों को रास नहीं आ रही है तथा चर्चा है कि राजनीतिक नेताओं के साथ मिलीभगत करके समूह शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ ही कार्रवाई करने के लिए दबाव की रणनीति अपनाई जा रही है।जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली, जीप की सूचना मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दी गई। और चूंकि उन्होंने निर्देश दिया था कि गलत वेतन निर्धारण का मामला मार्गदर्शन के लिए वरिष्ठों के पास भेजा जाए, इसलिए गलत वेतन निर्धारण सेवा पुस्तिका में गलती से दर्ज हो गया है।– अनिल चव्हाण, गटशिक्षण अधिकारी, पंस अर्जुनी मोरगांव
रिपोर्ट : जुबैर शेख
