राजनांदगांव, पुलिस रेंज में चल रही पुलिस भर्ती प्रक्रिया में ड्यूटीरत एक आरक्षक ने पिछले दिनों फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । भर्ती में गड़बड़ी को लेकर अनेक प्रश्न चिन्ह खड़े हो गए हैं। कौन कौन से इवेंट में किस-किस का नंबर बढ़ाया गया दूसरा जिन पुलिस वालों के ऊपर कार्यवाही हुआ उन्होंने पैसा उन लोगों से कितना लिया और किसके मार्फत लिए उन् लोगों से जान पहचान उम्मीदवारो का कैसे हुआ संदेही पुलिस वालों की जांच अभी भी चल रही है और जो जेल पहुंच चुके है और सुसाइड करने वाला सिपाही रत्नाकर क्या इनके मोबाइल चैटिंग में क्या सामने आया है। क्या भर्ती प्रक्रिया स्थल पर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति थी। अगर नहीं तो भर्ती प्रक्रिया स्थल पर मोबाइल फोन पहुंच कैसे गए क्या प्रवेश स्थल से लेकर अंदर तक एक चैन तैयार थी? तो उसका नेतृत्व कर कौन रहा था। सुसाइड करने वाला जवान अपने पीछे अनेकों प्रश्न छोड़ गया जिसके कड़ियों को खोलना जांच का अहम हिस्सा है। एका एक पुलिस का जवान आखिर कौन से दबाव से परेशान होकर आत्महत्या करने विवश हुआ जो सीने में गोली खाने का माद्दा रख पुलिस की नौकरी करने का साहस लिए हुए था। ऐसा तो नहीं हथेली पर लिखी सच्चाई जवान के साथ पंचतत्व में विलीन हो जाएगी या समूचे घटना से जो पुलिस की छवि दागदार हुई उसे पारदर्शिता से जांच कर हुए गड़बड़ी के पीछे का सच सामने लाना होगा अन्यथा भ्रष्टाचार और लेनदेन कर जो लोगों का चयन हुआ होगा वो सिस्टम पर तांडव करेंगे और सारे राज दफन हो जाएंगे।*सत्ता और राजनीति में समृद्धशाली फिर भी कुशासन!*राजनांदगांव जिला हमेशा से ही सत्ता और राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है पहले 15 वर्षों तक डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री के बतौर अपना एकतरफा राज चलाए हैं। आज भी राजनांदगांव जिला राजनीतिक रूप से पूर्ण रूप से सक्षम और पावर बैंक की हैसियत रखता है गृहमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस जिले के प्रभारी मंत्री है वही विधानसभा के संवैधानिक पद के सर्वोच्च विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी लिए हुए हैं। यहीं से दो बार के चुने हुए सांसद संतोष पांडे है। फिर भी प्रदेश के मुखिया की आवाज सुशासन को नहीं संभाल पा रहे हैं और अब स्थिति भर्ती को लेकर सुशासन स्पष्ट नजर आ रहा है। यहां की घटना ने पूरे प्रदेश में राजनांदगांव जिले को शर्मसार कर दिया है। और युवाओं को उनके भविष्य के बारे में सोचने विवश कर दिया है। क्या आने वाले भर्तियों में युवाओं को ईमानदारी, निष्पक्षता और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था का सपना संजोएगी या भर्तियों को लेकर शशंकित रहेगी। राजनीति के सर्वोच्च पद में बैठे हुए लोगों से भी उम्मीद युवा तो कर ही रहे हैं राजनांदगांव के शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र से लेकर प्रदेश तक लोग टकटकी लगाकर देख रहे हैं कि इन ताकतवर सत्ताधीशों के रहते आखिर सन्नाटा क्यों है?
रिपोर्ट : एन के सिन्हा