FILE PHOTO: U.S. President Donald Trump speaks on the day he signs documents as he issues executive orders and pardons for January 6 defendants in the Oval Office at the White House on Inauguration Day in Washington, U.S., January 20, 2025. REUTERS/Carlos Barria/File Photo

Donald Trump Declares 100% Tariff On Pharma Imports: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अक्टूबर, 2025 से ब्रांडेड और पेटेंट वाली फार्मास्युटिकल दवाओं के आयात पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की घोषणा की.

FILE PHOTO: U.S. President Donald Trump speaks on the day he signs documents as he issues executive orders and pardons for January 6 defendants in the Oval Office at the White House on Inauguration Day in Washington, U.S., January 20, 2025. REUTERS/Carlos Barria/File Photo

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर टैरिफ बम फोड़ा है. ट्रंप ने 1 अक्टूबर, 2025 से ब्रांडेड और पेटेंट वाली फार्मास्युटिकल दवाओं के आयात पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की घोषणा की. भारत के लिए यह बड़ी खबर है क्योंकि फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र अमेरिका के साथ व्यापार पर सबसे अधिक निर्भर घरेलू उद्योगों में से एक है. रिपब्लिकन राष्ट्रपति ने एक ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा, “1 अक्टूबर, 2025 से, हम किसी भी ब्रांडेड या पेटेंट फार्मास्युटिकल उत्पाद पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जब तक कि वो कंपनी अमेरिका में अपना फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं बना रही हो.” हम आपको यहां बताएंगे कि भारत पर ट्रंप के इस नए टैरिफ का क्या असर होगा. पहले जानिए ट्रंप ने क्या फैसला लिया है.

ट्रंप ने क्या फैसला लिया है?

ट्रंप ने अपने ट्रूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में लिखा, “1 अक्टूबर 2025 से, हम किसी भी ब्रांडेड या पेटेंट फार्मास्युटिकल उत्पाद पर 100% टैरिफ लगाएंगे, जब तक कि वह कंपनी अमेरिका में अपना फार्मास्युटिकल बनाने वाली फैक्ट्री नहीं बना रही हो. “निर्माण हो रहा है” को “ब्रेकिंग ग्राउंड” और/या “निर्माणाधीन” के रूप में परिभाषित किया जाएगा. इसलिए, यदि निर्माण शुरू हो गया है तो इन फार्मास्युटिकल उत्पादों पर कोई टैरिफ नहीं होगा. इस बात की ओर आपका ध्यान के लिए धन्यवाद!”

ट्रंप के इस फैसले का भारत पर क्या असर?

ट्रंप के इस नए टैरिफ से भारतीय फार्मा कंपनियों पर ज्यादा असर नहीं होगा. इसकी वजह यह है कि अधिकांश भारतीय कंपनियां अमेरिका में जेनेरिक दवाओं का निर्यात करती हैं, ब्रांडेड नहीं. इसके अलावा दवाइयां बनाकर अमेरिका में बेचने वाली बड़ी कंपनियों के पास पहले से ही अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएं हैं. इसलिए एक्सपर्ट यह उम्मीद लगा रहे हैं कि बाजार खुलने पर यह कंपनियां बुरी तरह प्रभावित नहीं होंगी. 

अमेरिका में ब्रांडेड/पेटेंट उत्पाद बेचने वाली एकमात्र कंपनी सन फार्मा है. यह कंपनी भी अमेरिका और यूरोप में फैली CMO सुविधाओं (जो किसी अन्य कंपनी के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर दवा या अन्य उत्पाद बनाती है) के माध्यम से विशेष उत्पाद को आउटसोर्स करता है.

अमेरिका में भारत की दवाइयों का निर्यात

फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, वित्त वर्ष 2023- 2024 में, भारत के कुल $27.9 बिलियन मूल्य के फार्मा निर्यात में से 31 प्रतिशत या $8.7 बिलियन अमेरिका गया था. रिपोर्ट के अनुसार, भारत अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 45 प्रतिशत से अधिक जेनेरिक और 15 प्रतिशत बायोसिमिलर दवाओं की आपूर्ति करता है. डॉ रेड्डीज, अरबिंदो फार्मा, जाइडस लाइफसाइंसेज, सन फार्मा और ग्लैंड फार्मा जैसी कंपनियां कथित तौर पर अमेरिकी बाजार से अपने कुल राजस्व का 30-50 प्रतिशत तक कमाती हैं.

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