Pakistan Air Strike in Khyber Pakhtunkhwa: चीन से मिले फाइटर जेट JF-17 से बम बरसाकर अपनी जमीन को अपने ही नागरिकों के खून से लथपथ करने के बाद पाकिस्तान की सरकार और उसे रिमोट कंट्रोल से चलाने वाली पाकिस्तान आर्मी की खूब आलोचना हो रही

Pakistan Air Strike in Khyber Pakhtunkhwa: पाकिस्तान ने ‘आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन’ के नाम पर अपने ही आम लोगों पर हवाई हमला किया है जिसमें मासूम बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों समेत 30 की मौत हो गई है. 21 और 22 सितंबर की दरमियानी रात खैबर पख्तूनख्वा के तिराह घाटी क्षेत्र स्थित मत्रे दारा गांव, आका खेल शाल्दा पर हवाई हमला किया गया. चीन से मिले फाइटर जेट JF-17 से बम बरसाकर अपनी जमीन को अपने ही नागरिकों के खून से लथपथ करने के बाद पाकिस्तान की सरकार और उसे रिमोट कंट्रोल से चलाने वाली पाकिस्तान आर्मी की खूब आलोचना हो रही है. खैबर पख्तूनख्वा की स्थानीय राज्य सरकार ने इसकी तीखी आलोचना की है. 

बयान में सीएम गंडापुर के हवाले से कहा गया, “घटना में नागरिकों की शहादत अफसोसजनक और निंदनीय है. आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन के परिणामस्वरूप नागरिकों की शहादत अस्वीकार्य है.”

बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवारों के लिए एक-एक करोड़ पाकिस्तानी रुपये के मुआवजे की घोषणा की है. बैठक में भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक कार्य योजना (वर्क प्लान) पर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया गया.

खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा के अध्यक्ष बाबर सलीम स्वाति ने भी गहरा दुख व्यक्त किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में स्वाति ने स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डाला, जिसमें कहा गया कि नागरिक जीवन की हानि देश में आम लोगों की असुरक्षा (वल्नरेबिलिटी) को रेखांकित करती है.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस त्रासदी के कारण पाकिस्तान की दिशा और भविष्य के परिणामों के बारे में आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, “जब हमारे अपने लोगों का खून इतना सस्ता बना दिया जाता है और उन पर बम गिराए जाते हैं, तो यह एक ऐसी आग है जो हर किसी को अपनी चपेट में ले सकती है”.

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने की न्याय की मांग

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने कहा कि तिराह में कथित “हवाई बमबारी” के कारण कई नागरिकों की हत्या की रिपोर्ट सुनकर उसे “गहरा झटका” लगा और उसने मामले की जांच की मांग की. इसने मांग की कि “अधिकारी घटना की तत्काल और निष्पक्ष जांच करें और जिम्मेदार लोगों को जिम्मेदार ठहराएं”.

HRCP के बयान में कहा गया है, “राज्य संवैधानिक रूप से सभी नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करने के लिए बाध्य है, जिसे वह सुरक्षित करने में बार-बार विफल रहा है.”

खैबर पख्तूनख्वा में हुआ क्या था?

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, रात करीब 2 बजे के आस-पास पाकिस्तान वायुसेना के जेएफ-17 लड़ाकू विमानों ने गांव पर कम से कम आठ एलएस-6 बम गिराए. चश्मदीदों ने बताया है कि पाकिस्तानी वायुसेना के इस हमले में पूरा गांव तबाह हो गया है. यहां कई घरों के मलबे में अभी भी शव बिखरे पड़े हैं. गांव की गलियां और मकान खून और मलबे से पटे हुए हैं, जिससे यहां लोगों के बीच स्थिति बेहद भयावह हो गई है. अब तक इस हमले को लेकर पाकिस्तान सरकार या सेना की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. आधिकारिक तौर पर अभी तक यह भी नहीं बताया गया है कि हमले के वास्तविक लक्ष्य क्या थे. वहीं, यह जानकारी भी सामने नहीं आई है कि गांव में किसी तरह की आतंकी गतिविधियां या फिर आतंकियों की मौजूदगी थी.

हालांकि, पाक सेना के समर्थक हैंडल्स ने इसे स्थानीय लोगों द्वारा रखे गए आईईडी के विस्फोट का नतीजा करार देने की कोशिश की है. रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह चुप्पी पाकिस्तान की सेना की अपनी ही जनता के खिलाफ कार्रवाई की पुरानी प्रवृत्ति के अनुरूप है. इससे पहले भी खैबर पख्तूनख्वा और पाकिस्तान अधिकृत बलूचिस्तान में नागरिकों पर इसी तरह की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई देखने को मिली है. इस घटना पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने गहरी चिंता व्यक्त की है और मामले की निष्पक्ष व विस्तृत जांच की मांग की है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन ने रणनीतिक रूप से अपने ठिकाने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शिफ्ट करने शुरू कर दिए हैं. दरअसल ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कम-से-कम नौ बड़े आतंकी अड्डों को भारतीय सेना ने ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद अब आतंकी संगठन अपने ठिकाने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से अफगानिस्तान बॉर्डर के पास शिफ्ट कर रहे हैं.

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