यह ISRO सैटेलाइट पृथ्वी से लगभग 500-600 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा कर रहा था. यह अंतरिक्ष का वही हिस्सा है जो एलन मस्क के स्टारलिंक नेटवर्क जैसे संचार सैटेलाइट से काफी भरा हुआ है.

अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे भारत के एक सैटेलाइट पर खतरा मंडरा रहा था, पड़ोसी देश का सैटेलाइट केवल एक किलोमीटर की दूरी पर था और टक्कर कभी भी हो सकती थी… गनीमत रही कि खतरा टल गया. लेकिन अब भारत ऐसे खतरे को आसपास भी मंडराने की इजाजत नहीं देने वाला. भारत अपने सैटेलाइट को दूसरे देशों के सैटेलाइट हमलों से बचाने की अपनी क्षमता में सुधार करने की योजना बना रहा है, वह अंतरिक्ष में बॉडीगार्ड तैनात करने की तैयारी में है. यह रिपोर्ट ब्लूमबर्ग ने छापी है.

रिपोर्ट के अनुसार मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सूत्रों ने नाम सार्वजनिक नहीं करने का अनुरोध किया. उन्होंने बताया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार परिक्रमा के दौरान अपने सैटेलाइट या अंतरिक्ष यानों को होने वाले खतरों की पहचान करने और उनका मुकाबला करने के लिए तथाकथित ‘बॉडीगार्ड’ सैटेलाइट विकसित करना चाहती है. मई में पाकिस्तान के साथ भारत के संघर्ष के दौरान भी भारत के सैटेलाइट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

भारत यह तैयारी क्यों कर रहा है?

रिपोर्ट के अनुसार 2024 के मध्य में एक पड़ोसी देश (जिसका नाम मामले से परिचित लोगों ने नहीं लिया) का सैटेलाइट भारत की स्पेस एजेंसी ISRO के सैटेलाइट के 1 किलोमीटर के दायरे में आ गया था.

यह ISRO सैटेलाइट पृथ्वी से लगभग 500-600 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा कर रहा था. यह अंतरिक्ष का वही हिस्सा है जो एलन मस्क के स्टारलिंक नेटवर्क जैसे संचार सैटेलाइट से काफी भरा हुआ है. भारत के भी इस सैटेलाइट का अहम मिलिट्री प्रयोग है. उसकी मदद से जमीन पर वस्तुओं की मैपिंग और निगरानी की जाती है. अगर यह टक्कर हो जाता तो भारत के लिए बड़ा डेंट होता.

सैटेलाइट को बचाने की तैयारी

उपग्रह-सुरक्षा परियोजना (सैटेलाइट प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट) पीएम मोदी की सरकार द्वारा अंतरिक्ष की कक्षा (ऑर्बिट) में अधिक सुरक्षा संपत्ति विकसित करने के एक बड़े प्रयास का हिस्सा है, जिसमें 270 बिलियन भारतीय रुपये ($ 3 बिलियन) की योजना भी शामिल है.

मामले से परिचित लोगों ने कहा कि सरकार अब सही समाधान खोजने के लिए स्टार्टअप्स के साथ काम कर रही है. भले चर्चाएं अभी शुरुआती चरण में हैं, लेकिन माना जा रहा है कि खतरों की जल्दी पहचानने के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LiDAR) सैटेलाइट को लॉन्च किया जा सकता है, जिससे पृथ्वी पर टेक्नीशियंस को इस बात के लिए पर्याप्त वक्त मिल सके कि वो दूसरे देश के सैटेलाइट को अपना पोजिशन बदलने के लिए आदेश दे सकें.

रिपोर्ट के अनुसार इसरो के क्षमता निर्माण कार्यक्रम कार्यालय के पूर्व डायरेक्टर और अब एक स्वतंत्र सलाहकार, सुधीर कुमार एन ने कहा कि LiDAR सैटेलाइट को एक बड़ी प्रणाली का हिस्सा बनने की आवश्यकता होगी जिसमें जमीन पर लगे रडार और दूरबीन भी शामिल होंगे.

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