US Tariff War: पिछले महीने अमेरिका के एक संघीय अपील अदालत ने फैसला सुनाया था कि ट्रंप भारी टैरिफ लगाकर राष्ट्रपति की शक्तियों का उल्लंघन कर रहे हैं.

क्या अमेरिका भारत से जितना टैरिफ वसूल रहा है, उसका आधा उसे रिफंड के रूप में भारत को लौटाना पड़ेगा? क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ बम उनपर ही फूटने वाला है? अब अमेरिकी सरकार की तरफ से ही ऐसा बयान दिया गया है कि यह सवाल उठने लगे हैं. अमेरिका के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि अगर अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा दूसरे देशों पर लगाए गए “रेसिप्रोकल टैरिफ” को रद्द करने का फैसला करता है तो अमेरिका रिफंड देना पड़ेगा. यह टिप्पणी उस समय आई है जब पिछले महीने अमेरिका के एक संघीय अपील अदालत (फेडरल अपील कोर्ट) ने फैसला सुनाया था कि ट्रंप भारी टैरिफ लगाकर राष्ट्रपति की शक्तियों का उल्लंघन कर रहे हैं.

ट्रेजरी सचिव ने क्या कहा?

एनबीसी न्यूज के प्रोग्राम “मीट द प्रेस” में शामिल होकर, बेसेंट ने कहा, “हमें लगभग आधे टैरिफ पर रिफंड देना होगा, जो ट्रेजरी (सरकारी खजाने) के लिए भयानक होगा… अगर अदालत ऐसा कहती है, तो हमें यह करना होगा.”

इससे पहले, सीबीएस न्यूज़ के साथ एक इंटरव्यू के दौरान, अमेरिका की नेशनल इकनॉमिक काउंसिल के डायरेक्टर केविन हैसेट ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ फैसला सुनाया तो टैरिफ लागू करने के लिए अन्य कानूनी रास्ते उपलब्ध हैं. उनके अनुसार, “धारा 232” इन्वेस्टिगेशंस, जिसका उपयोग स्टील और एल्यूमीनियम टैरिफ को लागू करने के लिए किया गया था, अन्य विकल्पों में से एक है.

पिछले हफ्ते, ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट से निचली अदालत के फैसले को पलटने के लिए कहा था. दरअसल 29 अगस्त को फेडरल सर्किट के लिए अमेरिकी अपील कोर्ट ने 7-4 वोट से फैसला सुनाया कि ट्रंप ने एक आपातकालीन आर्थिक शक्ति कानून के माध्यम से लगभग सभी व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लागू करके अपने अधिकार का उल्लंघन किया. कोर्ट ने कहा कि ट्रंप ने जो भी किया वो राष्ट्रपति को मिली शक्तियों के अंतर्गत नहीं आती है और टैरिफ लगाना “कांग्रेस की एक मुख्य शक्ति” है.

इससे पहले मई में, न्यूयॉर्क स्थित कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने टैरिफ को गैरकानूनी घोषित किया था.

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