उदयपुर जिले के वल्लभनगर उपखंड क्षेत्र के मेनार में शुक्रवार को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में भव्य शिक्षक सम्मान समारोह 2025 का आयोजन किया गया। इसमें गांव व आसपास के स्कूलों के लगभग 180 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। यह सम्मान गांव के भामाशाह प्रेम पांचावत पुत्र जगदीश पांचावत द्वारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी महेंद्र कुमार बडाला थे, जबकि अध्यक्षता राउमावि मेनार के प्रधानाचार्य जालम सिंह सारंगदेवोत ने की। विशिष्ट अतिथियों में अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी वल्लभनगर गोपाल मेनारिया, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी भीण्डर राजेंद्र कुमार चौबीसा, डाइट व्याख्याता गिरीश चौबीसा, सेवानिवृत व्याख्याता नाथूलाल रामावत, देवीलाल मेरावत एवं किशनलाल मेनारिया शामिल रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इसके बाद अतिथियों का तिलक, मेवाड़ी लाल पाग, ऊपरणा व बर्ड विलेज मेनार की तस्वीर भेंट कर स्वागत किया गया।

मेनार गांव शिक्षा में अग्रणी

अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी गोपाल मेनारिया ने कहा कि मेनार गांव शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा ही अग्रणी रहा है। यहां के विद्यार्थी हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने भामाशाह प्रेम पांचावत के इस सराहनीय कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रेम पूर्व में भी गांव के सीनियर सेकेंडरी विद्यालय का मुख्य द्वार बनवा चुके हैं और सदैव समाज सेवा में आगे रहते हैं।
इसके बाद मंचासीन अतिथियों द्वारा सभी शिक्षकों को मेवाड़ी पाग, ऊपरणा व “बर्ड विलेज” की तस्वीर भेंटकर सम्मानित किया गया। महिला शिक्षकों को शॉल ओढ़ाकर भी सम्मान दिया गया। अंत में सभी शिक्षकों व शारीरिक शिक्षक संघ ने भामाशाह प्रेम पांचावत का साँवलियाजी की तस्वीर, शॉल, मेवाड़ी से सम्मान किया और सभी शिक्षकों का सम्मान करने के लिए धन्यवाद और आभार व्यापित किया।
प्रधानाचार्य जालम सिंह सारंगदेवोत व सेवानिवृत्त व्याख्याता नाथूलाल रामावत ने कहा कि गुरु वह दीपक हैं, जो अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। मेनार गांव की पुत्रवधु लक्ष्मी मेनारिया ने गीत “मारो वीर शिरोमणि गांव माने प्यारो लागे जी…” प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया। वहीं अध्यापक दर्शन मेनारिया ने कविता “मैं मेनार हूँ” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

शिक्षक समाज का निर्माता

मुख्य अतिथि महेंद्र कुमार बडाला ने कहा कि 1994 से 1998 तक मेरा मेनार में कार्यकाल स्वर्णिम रहा। यहां जो सम्मान मिला, वह उन्हें अन्यत्र कहीं नहीं मिला। उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि विद्यार्थियों को संस्कार, अनुशासन, नैतिकता और सामाजिकता से भी परिचित कराते हैं। शिक्षक ही वह आधारशिला हैं, जिन पर बच्चों का सम्पूर्ण व्यक्तित्व निर्मित होता है। मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार चौबीसा ने कहा कि त्याग और शौर्य की भूमि मेनार के भामाशाह प्रेम पांचावत एवं उनके परिवार ने शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान दिया है। शिक्षक ही विद्यार्थियों को खेलकूद, कला, विज्ञान, तकनीक व सामाजिक गतिविधियों में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे। संचालन सेवानिवृत्त शिक्षक हीरालाल सुथार व दर्शन मेनारिया ने किया। कार्यक्रम में गांव सहित आसपास के गांवों के शिक्षक व गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

रिपोर्ट केलास तेली भींडर उदयपुर राजस्थान

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