अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा था कि ‘‘लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है.”

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने ट्वीट से वर्ल्ड ऑर्डर की नई तस्वीर हमारे सामने रखते दिख रहे हैं. जब से अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के खिलाफ टैरिफ बम फोड़ा है, भारत ने भी रूस और चीन के साथ रिश्तों को और मजबूत करने के लिए कदम उठाया है. ट्रंप खुद बोल रहे हैं कि ‘‘” जब दुनिया को दिखने लगा कि ट्रंप चीन + भारत + रूस बनाम अमेरिका और उसकी कंपनी के रूप में नए ग्लोबल ऑर्डर की तस्वीर पेश कर रहे हैं, ट्रंप सहम गए और अपनी ही बात को काटते हुए कहने लगे कि मुझे नहीं लगता कि हमने भारत को खो दिया है. वो अब पीएम मोदी के साथ  को याद कर रहे हैं. पीएम मोदी ने भी जवाब में कहा है कि वहकरते हैं.

चीन + भारत + रूस vs अमेरिका ऐंड कंपनी

दरअसल जबसे चीन में एससीओ समिट के दौरान भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक साथ की तस्वीर सामने आई है, ट्रंप संभलकर कदम रख रहे हैं. उन्होंने 5 सितंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि “ऐसा लग रहा है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है. उनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो.”

बाद में ट्रंप अपने बयान से पीछे हटते भी दिखें. राष्ट्रपति ट्रंप से जब इसी पोस्ट को लेकर एक पत्रकार ने सवाल किया और पूछा कि चीन के हाथों भारत को खोने के लिए आप किसे दोषी मानते हैं? तो इस सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हमने उन्हें खो दिया है. मुझे निराशा है कि भारत रूसी तेल खरीद रहा है और मैंने उन्हें 50% टैरिफ लगाकर बता दिया है. लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मेरी रिश्ते अच्छे हैं. वह कुछ महीने पहले यहां आए थे, हम रोज गार्डन गए थे… हमने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी…”

ट्रंप की टिप्पणी बता रही ‘भारत एक छोटा देश नहीं है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता’: एक्सपर्ट

ट्रंप के अमेरिका ने “रूस और भारत को सबसे गहरे, सबसे अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है” वाले बयान पर पश्चिम एशिया के रणनीतिकार वाइएल अव्वाद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ट्रंप की यह टिप्पणी एक महत्वपूर्ण शक्ति और रणनीतिक खिलाड़ी के रूप में भारत के बढ़ते वैश्विक कद को दर्शाती है.

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार रणनीतिकार अव्वाद ने कहा, “मुझे लगता है कि उनके बयान से भारत के इस पोजिशन का संकेत मिलता है कि भारत एक छोटा देश नहीं है, एक उभरती हुई शक्ति है और एक ताकत है. अमेरिका भारत को खोना बर्दाश्त नहीं कर सकता. मुझे लगता है कि उनके बयान से यह बहुत स्पष्ट था. उन्हें संबंधों को पुनर्जीवित करने और उन्हें सामान्य ट्रैक पर वापस लाने के लिए डैमेज कंट्रोल करना चाहिए क्योंकि भारत ने बहुत समय बिताया है, और यहां तक ​​कि अमेरिका भी पिछले तीन दशकों से संबंधों को सुधारने और सामान्य बनाने की कोशिश कर रहा है.”

अव्वाद ने क्षेत्रीय भू-राजनीति, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक में भारत की केंद्रीय भूमिका का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश “एक दूसरे को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते”.

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