राजनांदगांव।शहर के कृष्णा हॉस्पिटल में शुक्रवार को उस समय हंगामा हो गया, जब मृतक महिला के परिजनों ने घेराबंदी करते हुए इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। परिजनों का कहना था कि 31 अगस्त को कृष्णा हॉस्पिटल ने सही इलाज नहीं किया और मरीज को रेफर कर दिया गया।लेकिन बड़ा सवाल यह है कि रेफर होने के बाद महिला को संजीवनी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां तीन दिन तक इलाज चलता रहा और आखिरकार उसकी मौत हो गई। इसके बावजूद परिजन केवल कृष्णा हॉस्पिटल पर ही हंगामा कर रहे हैं, जबकि मौत संजीवनी हॉस्पिटल में हुई है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जांच एकतरफा नहीं होनी चाहिए। यदि मरीज की जान गई है तो यह देखना जरूरी है कि संजीवनी हॉस्पिटल में तीन दिन तक किस तरह का उपचार दिया गया। केवल कृष्णा हॉस्पिटल को कठघरे में खड़ा करना मामले की सच्चाई को अधूरा छोड़ देगा।प्रशासन ने कृष्णा हॉस्पिटल से रिपोर्ट तलब की है, लेकिन अब यह सवाल तेज़ी से उठ रहा है कि संजीवनी हॉस्पिटल की भूमिका की जांच से परदा क्यों डाला जा रहा है। निष्पक्ष जांच तभी संभव होगी, जब दोनों अस्पतालों की जिम्मेदारी तय की जाए।

:- 𝗥𝗮𝗺 𝗡𝗮𝗿𝗲𝘀𝗵 𝗦𝗶𝗻𝗵

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