इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों की भूमिका को केवल ज्ञान के प्रदाता तक सीमित न मानकर, उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के सच्चे मार्गदर्शक, प्रेरक और राष्ट्र-निर्माण के शिल्पकार के रूप में प्रस्तुत करना था।
कार्यशाला का शुभारंभ डॉ. राधाकृष्णन जी के चित्र पर माल्यार्पण कर,दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर कार्यशाला संयोजक डॉ. रतन सिंह ने कहा कि “शिक्षक केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं देते, वे विद्यार्थियों में संस्कार, मूल्य एवं चरित्र का निर्माण कर राष्ट्र की नींव को सुदृढ़ बनाते हैं।”
विशेष सत्रों में वक्ताओं ने शिक्षण की नई पद्धतियों, डिजिटल युग में शिक्षक की चुनौतियों तथा मूल्याधारित शिक्षा की आवश्यकता पर अपने विचार साझा किए। प्रतिभागी शिक्षकों प्रो. लता कुमार, प्रो. उषा साहनी, प्रो. मंजू रानी, प्रो रामचंद्र सिंह, डॉ. आशीष पाठक एवं डॉ. गजेंद्र सिंह एवं रिसर्च स्कॉलर अजय पासवान ने अपने वक्तव्य, विचार–विनिमय एवं प्रायोगिक गतिविधियों के माध्यम से अपने अनुभवों को साझा किया।
अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य प्रो. अंजू सिंह ने कहा कि “एक शिक्षक समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाला वह दीपक है, जो अज्ञान के अंधकार को दूर कर राष्ट्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर करता है।”
कार्यक्रम का संचालन बी.एड. द्वितीय वर्ष की छात्रा अदिति चौधरी के द्वारा किया गया।
कार्यशाला का समापन डॉ. ऋचा राणा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया। कार्यशाला के आयोजन में समस्त बीएड विभाग का सहयोग रहा एवं महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों की उपस्थिति सराहनीय रही।

मेरठ

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