

एंकर जो संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं कमरछठ व्रत रखती हैं और भगवान बलराम (श्री कृष्ण के बड़े भाई) और षष्ठी माता (छठ माता) की पूजा करती हैं।कमरछठ का महत्वःसंतान की लंबी उम्रःकमरछठ व्रत मुख्य रूप से माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है।इस व्रत के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार, कंस द्वारा देवकी के 7 बच्चों को मारने के बाद, देवकी ने षष्ठी माता का व्रत रखा था, जिससे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।यह पर्व भगवान बलराम के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्हें हल और मूसल (हलधर) का प्रतीक माना जाता है।कमरछठ कैसे मनाई जाती है:माताएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं।भगवान बलराम और षष्ठी माता की पूजा की जाती है।भगवान बलराम और षष्ठी माता की पूजा की जाती है। इस दिन पसहर चावल (जहां हल न चला हो), छह प्रकार की भाजियां, काशी के फूल, महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध और दही आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।व्रत का समापन भैंस के दूध से बने दही और महुए को पलाश के पत्ते पर खाकर किया जाता है।बाइट1 श्रद्धालु महिला ग्राम ख्महीबाइट 2 पुजारी
रिपोर्ट : उमेश दिवाकर
