सूरत की लाजपोर जेल में बंद कैदी अब अपराध की राह छोड़कर आध्यात्मिकता और आत्मविकास की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जेल प्रशासन द्वारा चलाई जा रही लाइब्रेरी पहल के तहत कैदियों ने वर्ष 2024 में अब तक 26,000 से अधिक पुस्तकें पढ़ी हैं।
लाजपोर जेल में धार्मिक, मोटिवेशनल और आध्यात्मिक पुस्तकों की सबसे ज्यादा मांग देखी जा रही है। दो वर्ष पहले जेल की लाइब्रेरी से प्रति माह केवल 800 पुस्तकें इश्यू होती थीं, जो अब बढ़कर 2200 प्रतिमाह तक पहुँच गई हैं।
विशेष बात यह है कि कैदी न सिर्फ खुद पढ़ रहे हैं, बल्कि अन्य कैदियों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जेल प्रशासन हर कैदी का पुस्तक पठन रिकॉर्ड भी रख रहा है—कौन कैदी कौन-सी पुस्तक पढ़ रहा है, इसकी पूरी जानकारी दर्ज की जाती है।
जो कैदी पढ़ नहीं सकते, उनके लिए ऑडियो लाइब्रेरी की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है, ताकि वे भी ज्ञान और सकारात्मकता से जुड़ सकें। इस पहल का उद्देश्य कैदियों के मन में मानसिक परिवर्तन लाना और उन्हें एक बेहतर जीवन की ओर अग्रसर करना है।




News by :
Mayank agarwal
Gujrat State Head
