महंत श्री विजय कृष्ण पांडेय दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष

अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ मीडिया प्रभारी संतोष मिश्रा ने बताया है कि मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष महंत श्री विजय कृष्ण पांडेय जी के अध्यक्षता मे संपन्न हुई जिसमें गुरु पूर्णिमा महोत्सव की तैयारी और गुरु शिष्य के रिश्तों के बारे मे सभी को महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे मे जानकारी दी और सभी सम्मानित पदाधिकारियों को अपने दायित्व की जिम्मेदारी को सही से निभाने की बात कही सभी सम्मानित सदस्यों एवं पदाधिकारियों को बहुत ही हर्ष के साथ सूचित किया कि 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है इस दिन हम सभी मिलकर अपने गुरु, आराध्य, हिन्दू ह्रदय सम्राट परम् पूज्य स्वामी श्री चक्रपाणि महाराज जी का भव्यता से पूजन और स्वागत करेंगे और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, गुरु को देने के लिए आप सभी अपने स्वेक्षा से जो भी भेंट देना चाहते है अपने स्वेक्षा के अनुसार भेंट ला सकते है यह कार्यक्रम अखिल भारत हिन्दू महासभा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष महंत विजय कृष्ण पांडेय जी के निर्देशानुसार किया जाएगा जिसके कार्यक्रम संयोजक अध्यक्ष महंत विजय कृष्ण पांडेय ही होंगे और जिसमें दिल्ली प्रदेश के साथ अन्य प्रदेश से पदाधिकारियों और सम्मानित सदस्य उपस्थित होंगे यह गुरु महोत्सव के द्वारा पूरे देश मे दिल्ली प्रदेश का संदेश राष्ट्रीय अस्तर पर जाएगा इसलिए आप सभी से निवेदन है कि गुरु पूर्णिमा महोत्सव को शानदार तरीके से पूर्ण हो इसके लिए आप सभी अपने सामर्थ्य के हिसाब से तन मन धन से सहयोग करें जिसमें कि दिल्ली प्रदेश का यह कार्यक्रम पूरे देश मे एक अग्रणी छाप छोड़े प्रदेश अध्यक्ष महंत विजय कृष्ण पांडेय जी ने सभी सनातनियों को एकजुट होकर कार्य करने की सलाह दी और संगठन का विस्तार करने के लिए सदस्यता अभियान के तहत सभी हिन्दू भाइयों को एकत्र करने और अखिल भारत हिन्दू महासभा का नारा जाति पाति की करो विदाई हिन्दू हिन्दू भाई भाई के तहत सभी को संगठित करने की प्रेरणा दी है अखिल भारत हिन्दू महासभा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि मनुष्य का बड़ा होना अच्छी बात है लेकिन उसके व्यक्तित्व में गहराई और विचारों मे शुद्धता भी होनी चाहिए तभी वह महान बनता है जब रिश्ता नया होता है और जब वही रिश्ता पुराना हो जाता है तो लोग दूर होने का बहाना ढूंढ़ते हैं बहुत किस्मत वाले होते है वे लोग जिन्हें समय और समझ नही आती जब समझ आती है तो समय हाथ से निकल जाता है यदि मनुष्य के भीतर दूसरों के प्रति प्रेम नहीं है तो वह पूर्ण मनुष्य नही बन सकता क्योंकि प्रेम ही मनुष्य को वास्तव मे मनुष्य बनाता है यदि हम किसी को नमस्कार इस अपेक्षा से करते है कि वह भी हमें नमस्कार करेगा तो वह नमस्कार केवल दिखावा है वास्तविक नमस्कार तो संस्कार से उपजता है न कि अंहकार से हर दिन सुप्रभात और हर रात शुभ रात्रि कहने का उद्देश्य केवल इतना है कि दिनभर भले ही कोई भेंट न हो पर आत्मीयता का अनुभव बना रहे संभव है कि समयाभाव मे आप मेरे अभिवादन का उत्तर न दे सके कोई बात नही यदि मेरी बात आपके ह्रदय तक पहुंच जाएं तो वहीं मेरे लिए सबसे बड़ा उत्तर होगा आपका उत्तर आएं या न आए फिर भी मैं प्रतिदिन आपको नमन करता रहूंगा क्योंकि यह मेरे संस्कार है किसी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा नहीं हमारी हर एक सोच हमारे आने वाले कल का निर्माण करती है घर का नाम शांति सदन रखने से सुकून नहीं मिलता घर की शांति के लिए बड़ों का कहना मानना पड़ता है इसको घर से बाहर छोड़ना पड़ता है कड़वे घूंट पीकर चुप रहना पड़ता जीतने की नहीं अपनों को जीतने की भावना रखनी पड़ती है माता पिता की जितनी जरूरत हमें बचपन मे होती है व्यक्तिगत सुर्य सा रखना चाहिए ना उदय का अभियान,ना अस्त होने का भय बिन जलें विभूति नही बिन चले अनुभूति नहीं यदि हम शहद की खोज मे निकले हैं तो मधुमक्खियों का काटना स्वीकार करना वैसे ही सुख की चाह मे दुःख झेलना ही पड़ता है जैसे दोनों सांसों के मध्य ठहराव होता है वैसे ही अफरातफरी के मध्य अक्सर होते है

दिल्ली

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