उत्तर प्रदेश का एक जिला मुज़फ्फरनगर एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों का प्रभाव न केवल कानून-व्यवस्था पर, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी पड़ा है। इस जिले ने कई ऐसे जुझारू, संवेदनशील और प्रशासनिक दृष्टि से कुशल कप्तानों को देखा है जिनकी कार्यशैली ने न केवल अपराधियों को भयभीत किया, बल्कि आम जनता में पुलिस के प्रति विश्वास भी स्थापित किया। इसी कड़ी में अब एक नया नाम जुड़ चुका है , एसएसपी संजय कुमार वर्मा का, जिनकी आमद के साथ ही जिले में व्यवस्था और उम्मीद दोनों को एक नई दिशा मिलती दिख रही है।
जब संजय कुमार वर्मा ने मुज़फ्फरनगर के कप्तान का कार्यभार संभाला, तब आम जनमानस के मन में एक स्वाभाविक जिज्ञासा थी , “क्या यह कप्तान भी कुछ अलग करेगा? लेकिन प्रारंभिक दिनों में ही उनकी सक्रियता, गंभीरता और जनता के प्रति संवेदनशीलता ने यह साबित कर दिया कि वे केवल एक पदाधिकारी नहीं, बल्कि एक संकल्पशील सेवाधिकारी हैं।
चाहे वह थानों में जनता की सुनवाई हो, सड़क पर ट्रैफिक की मॉनिटरिंग, अपराध पर त्वरित कार्रवाई या फिर पुलिस विभाग के अंदर अनुशासन , हर क्षेत्र में उनकी गहरी दिलचस्पी और व्यक्तिगत भागीदारी ने साबित कर दिया कि संजय कुमार वर्मा सिर्फ कुर्सी पर नहीं बैठे हैं, वे मैदान में हैं।
मुज़फ्फरनगर जैसे जिले में जहां कई बार आम आदमी की आवाज़ सियासत और अपराध की साजिशों के बीच गुम हो जाती है, वहाँ संजय कुमार वर्मा ने सबसे पहले जनता की सुनवाई को प्राथमिकता दी। वे थानों में औचक निरीक्षण करते हैं, पीड़ितों की शिकायत को स्वयं सुनते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी गरीब, मजबूर या वंचित को पुलिस की बेरुखी का शिकार न होना पड़े।
उनकी कार्यशैली में एक स्पष्ट सन्देश है , “पुलिस की असली पहचान उसकी संवेदनशीलता में है, न कि केवल शक्ति प्रदर्शन में।”
मुज़फ्फरनगर की धरती ने पुलिस कप्तानों की एक समृद्ध परंपरा देखी है। आशुतोष पांडेय जैसे दबंग और कुछ नया करने की लालसा रखने वाले, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एवं जनता में लोकप्रिय, नवनीत सिकेरा बदमाशों पर कहर बरसाने वाले, दावा शेरपा जैसे रणनीतिक सूझ-बूझ रखने वाले अधिकारी, अमरेन्द्र सैंगर कर्तव्य परायण अधिकारी, हरिनारायण सिंह कर्मठ और जुझारू, दीपक कुमार, बबलू कुमार, विजय प्रकाश, अभिषेक यादव, जैसे कप्तानों ने जिस कार्यशैली और प्रभाव की छाप छोड़ी, वह आज भी जिले की जनता के दिलों में जीवित है।
इन अफसरों के कार्यकाल में अपराध नियंत्रण, सामाजिक सौहार्द, और प्रशासनिक पारदर्शिता के बेहतरीन उदाहरण देखे गए। हालांकि अन्य कप्तान भी अपने अपने विवेक और कार्यप्रणाली से बेहतर ही करने का प्रयास करते आए हैं, अब उस परंपरा की अगली कड़ी के रूप में संजय कुमार वर्मा को देखा जा रहा है। और यह देखकर संतोष होता है कि वे इस विरासत को न केवल संभाल रहे हैं, बल्कि उसे नई ऊँचाइयों पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं।
संजय कुमार वर्मा को केवल एक अधिकारी कहना उनके व्यक्तित्व को छोटा कर देना होगा। वे भागीदारी में विश्वास करते हैं, आदेश देने की बजाय साथ चलने में भरोसा रखते हैं। वे नीचे से ऊपर तक की पुलिस व्यवस्था में जिम्मेदारी तय करने के पक्षधर हैं और यह मानते हैं कि अपराध पर नियंत्रण केवल पुलिसिया डंडे से नहीं, बल्कि समाज की भागीदारी से भी आता है।
उनके नेतृत्व में थानों में जवाबदेही, फील्ड विज़िबिलिटी, पेंडेंसी की मॉनिटरिंग, महिला सुरक्षा पर विशेष फोकस, और साइबर अपराध की रोकथाम जैसे क्षेत्रों में त्वरित पहल की गई है।
सजग जनता तो सतर्क कप्तान की भूमिका में नज़र आ रहे हैं संजय कुमार वर्मा!
मुज़फ्फरनगर की जनता अब पहले की तुलना में कहीं अधिक जागरूक है। उन्हें मालूम है कि एक अफसर की कार्यशैली से उनका दैनिक जीवन कैसे प्रभावित हो सकता है। यही कारण है कि वे अपने कप्तान की हर पहल को ध्यान से देखती हैं, सराहती भी है, और ज़रूरत पड़ी तो सवाल भी उठाती है।
लेकिन अच्छी बात यह है कि संजय कुमार वर्मा की पारदर्शिता और सक्रियता ने जनता में एक नया भरोसा जगाया है। लोग महसूस करते हैं कि वे अकेले नहीं हैं ,कप्तान उनके साथ हैं।
एक यादगार पारी की शुरुआत
किसी भी कप्तान का कार्यकाल सीमित होता है, लेकिन उसकी कहानी समय से परे चलती है। संजय कुमार वर्मा के रूप में जिले को एक ऐसा कप्तान मिला है जिसने अपने शुरूआती दिनों में ही संकेत दे दिया है कि वे यह यह पारी यादगार बनाना जरूर चाहेंगे।
यह पारी होगी ,
अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई की,
कानून के शासन की पुनः स्थापना की,
जनता और पुलिस के बीच भरोसे के पुल बनाने की,
और उन मूल्यों की रक्षा की जिन पर एक लोकतांत्रिक समाज टिकता है।
आज जब जिले की सड़कों पर एक आम आदमी पुलिस को देखता है, तो वह यह जानता है कि पीड़ा लेकर थाने जाना व्यर्थ नहीं है। कप्तान की मौजूदगी एक सुरक्षा का अहसास देती है। अपराधी घबराए हुए हैं, लेकिन जनता निश्चिंत है , यही किसी कप्तान की सबसे बड़ी सफलता होती है।
संजय वर्मा, आपसे सिर्फ कानून नहीं, एक उम्मीद जुड़ी है, उस व्यवस्था की, जहाँ न्याय सुलभ हो, पीड़ा सुनी जाए, और हर नागरिक को यह भरोसा हो कि “कोई है जो हमारे लिए खड़ा है।”
मुज़फ्फरनगर की जनता की ओर से यह शुभकामना है ,
“आपकी पारी, आपकी कहानी बन जाए , और वह कहानी इतिहास में दर्ज हो।”

रिपोर्ट… पंडित जुगनू शर्मा
लोकेशन.. मुजफ्फरनगर

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