चरित्र चक्रवती आचार्य शान्ति सागर महाराज आचार्य पद प्रतिष्ठा पद शाताब्दी महोत्सव के अन्तर्गत आज भींडर में परम पूज्य वात्सल्य वारीधी आचार्य रत्न वर्धमान सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि अपूर्व सागर महाराज मुनि अर्पित सागर महाराज मुनि विवर्जित सागर महाराज के पावन सानिध्य में पीएम श्री महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय भींडर में छात्र छात्राओं को शैक्षणिक सामग्री के कीट वितरित किए गए सर्व प्रथम पूज्य मुनि अपूर्व सागर महाराज ससंग का विद्यालय परिवार द्वारा मंगल आरती की गई एवं श्रीफल चढ़ाकर अगवानी की महाराज ससंग के चरणों में नमोस्तु कर पूरे स्टॉफ ने आशीर्वाद प्राप्त किया संघ के साथ बाल ब्रम्ह चारी नमन भैया कार्यक्रम की अध्यक्षता सुशील जैन एडवोकेट अध्यक्ष भारत विकास परिषद, मुख्य अतिथि पुनाराम गुर्जर, पुलिस निरीक्षक थाना भिंडर, विशिष्ठ अतिथि पारस मल पचौरी पूर्व अध्यक्ष, गोवर्धन लाल वालावत समाज सेवी ,मीठालाल आवोत,समाज सेवी महेंद्र कुमार डुंगरिया समाज सेवी,बसंती लाल भादावत समाज सेवी कार्यक्रम संयोजक इन्द्र लाल फान्दोत सह संयोजक श्री पाल हाथी, जयंती लाल फान्दोत सह संगठन मंत्री, अशोक कुमार जोशी प्रिंसिपल,जयचन्द नागदा, विधायक प्रतिनिधि हीरा लाल पंड्या, कृष्ण गोपाल मुंदड़ा,मुरली मनोहर तिवारी,दिनेश व्यास सहित कई श्रावक एवं महिल मण्डल के श्राविकाए थी सर्व प्रथम विद्यालय के प्रिंसिपल द्वारा मुनि संघ के पावन चरणों श्री फल भेंट कर त्रय बार नमोस्तु किया एवं विद्यालय में संघ चरण पड़ने पर खुशी व्यक्त की बालिकाओं द्वारा स्वागत गान किया मुख्य अतिथि पुनाराम गुर्जर ने मुनि संघ के चरणों में नमोस्तु निवेदित करते हुए कहा कि ॐ एवं नमोकर महामंत्र का स्मरण करने से हमे आत्मीय शान्ति प्राप्त होती है एवं हमारा इस से हमारा कल्याण होता हैं परम पूज्य मुनि अपूर्व सागर महाराज ने अपने प्रवचन में बताया कि होनहार व होशियार प्यारे बच्चों, शिक्षक गण,श्रावक श्राविकाए l
दुनिया में चार तरह के लोग होते है – 1 . भाग्यशाली 2 . सौभाग्यशाली 3 . महाभाग्यशाली 4 . दुर्भाग्यशाली । जो शिक्षित है वे भाग्यशाली, जो शिक्षित भी हैं और संस्कारित भी हैं वे सौभाग्यशाली , जो शिक्षित है संस्कारित भी है और सज्जन भी है वे महाभाग्यशाली, लेकिन जो न शिक्षित है न संस्कारित है न सज्जन है वे दुर्भाग्यशाली होते है । पी . एम श्री महात्मा गांधी विद्यालय परिवार तीसरे नम्बर के ( भाग्यशाली ) लोगों में आते है । बच्चों को अध्यात्म, नैतिकता, सदाचार का ज्ञान कराने के लिए साधु सन्तों को आमंत्रित करते है ।
प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर महाराज के आचार्य पद प्रतिष्ठा के शताब्दी वर्ष के अवसर पर मुनि श्री अपूर्वसागर महाराज ने कहा कि आचार्य श्री ने देश मे त्याग – तपस्या – संयम की अलख जगाई । आचार्य शांतिसागर महाराज के ऊपर सर्प – सिंह – चिटियों का भयंकर उपसर्ग हुआ लेकिन शांतिसागर महाराज ने शांति के सागर से समता व धैर्य के उन कष्टों को सहन कर मुनिधर्म की प्रभावना की । आचार्य शांतिसागर ने अपने संयम जीवन में 10 हजार उपवास किये हैं । वे अनुत्तर योगी थे, आदर्श व महान पुरुष थे ।
प्यारे बच्चों विद्यालय शिक्षा का मंदिर होता है उसमे शिक्षक, अध्यापक देवता के रूप मे होते है आपको उनकी रोज प्रणाम करना चाहिए । आप देश के भावी नागरिक हो, आपको अच्छा इन्सान बनकर राष्ट्र की, समाज की, परिवार की सेवा करना है। तुम्हारे में अनेक शक्ति है, ऊर्जा है, खूब मेहनत कर ईमानदारी से पढ़ाई कर स्कूल का नाम रोशन करना है । जीवन को अच्छा बनाना हो, जीवन को उन्नत बनाना हो, सद् गति पाना हो, परमात्मा की कृपा पाना हो तो जीवन में चार काम जरूर करो – 1 सत् विचार ,2 सत्संग ,3 सत् ग्रन्थ ,4 सत्कर्म ।
अच्छी सोच -अच्छा भविष्य , बुरी सोच -बुरा भविष्य । अपने विचार या सोच सकारात्मक हो, सकारात्मक सोच के मतलब धैर्य , साहस, आत्मविश्वास, सदा प्रसन्न रहना, बड़ो की डांट को सह लेना और छोटो की गलतियों को माफ कर देना, यही सकारात्मक सोच का सिद्धांत है। आधा गिलास भरा हुआ है ऐसी सोच सकारात्मक होती है। Be Positive, Do Positive और Think Positive, अगर आप पांच मिनिट के लिए किसी के प्रति सकारात्मक सोच बना ले तो पत्थर भी पानी पर तिर सकता है। मुनि श्री ने कहा कि शाकाहार को अपनाओं शाकाहार – शुद्ध आहार । व्यसन और फैशन से दूर रहो व्यसन से Health खराब होती है और फैशन से wealth खराब होती है।
सदा सत्संग करना चाहिए । कबीरदास सन्त ने कहा है –
राम बुलावा भेजिया दिया कबीरा रोय ।
जो सुख सत्संग में है वो बैकुंठ में न होय ॥
वस्त्र गंदा हो गया तो साबुन से धो लेगे लेकिन मन गंदा हो तो ? मन धोने के लिए सत्संग है । सत्संग की साबुन से मन धुलता है ।
इंसान को अच्छा बनाने की फेक्ट्री का नाम सत्संग है। क्रोध से सदा बचो । क्रोध अग्नि के समान है। क्रोध से केरियर खराब हो जाता है, क्रोध से स्वाध्याय खराब हो जाता है। आपसी संबंध खराब हो जाते है। रावण ने राम के प्रति 5 मिनिट की सकारात्मक सोच से रावण के नाम का पत्थर पानी पर तैर गया । अतिथियो का स्वागत आचार्य शान्ति सागर महाराज आचार्य पद प्रतिष्ठा शाताब्दी समिति ने सभी अतिथियों का मोठडा,तिलक, मोमेंटो, ओपरना से स्वागत किया समिति के संयोजक इन्द्र लाल फान्दोत द्वारा भींडर नगर में विद्यालय में कीट वितरण एवं मुनि संघ के मंगल प्रवचन हेतु स्वीकृति के लिए पीएम श्री विद्यालय परिवार का आभार व्यक्त किया कार्यक्रम का संयोजन अंकिता गांगावत एवं दिनेश प्रकाश शर्मा ने किया

रिपोर्ट केलास तेली भींडर उदयपुर राजस्थान

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