यूपी के मुजफ्फरनगर में फैक्ट्रियों का काला धुआं बेलगाम, पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में फैक्ट्रियों से निकलने वाला काला धुआं पर्यावरण और स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर समस्या बन गया है. जौली रोड और भोपा रोड की फैक्ट्रियों की चिमनियों से लगातार निकल रहे धुएं ने हवा की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है
मुजफ्फरनगर के स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई कार्रवाई की प्रतिलिपि
लेकिन स्थानीय निवासियों ने इस दावे को खारिज कर दिया. बुधवार सुबह उसी फैक्ट्री की चिमनियों से फिर से काला धुआं निकलता देखा गया, जिससे आसमान काला हो गया.
बुधवार को मुजफ्फरनगर जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 118 रिकॉर्ड किया गया
वायु गुणवत्ता पर असर
बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर जिले की हवा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है. जिसकी बानगी बुधवार को उस वक्त देखने को मिली, जब मुजफ्फरनगर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 118 दर्ज किया गया, जो “येलो“ श्रेणी में आता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्तर सांस, दमा और दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है.
मुजफ्फरनगर के जौली रोड पर कई फैक्ट्रियों की चिमनियों से काला धुआं निकल रहा है
स्थानीय लोगों की शिकायत
आसपास के गांव के निवासियों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केवल औपचारिक कार्रवाई करता है और उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं देता. लोगों ने आरोप लगाया कि फैक्ट्रियों की लापरवाही और अधिकारियों की उदासीनता ने उनके जीवन को मुश्किल बना दिया है.
कानूनी प्रावधानों की अनदेखी
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत फैक्ट्रियों को वायु प्रदूषण नियंत्रण के सख्त मानकों का पालन करना अनिवार्य है. लेकिन बोर्ड की सुस्त कार्रवाई और फैक्ट्रियों की लापरवाही के चलते ये नियम केवल कागजों तक सीमित रह गए हैं.
स्थिति पर सवाल
फैक्ट्रियों से निकलने वाला काला धुआं केवल पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है. लोग अब इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस दिशा में ठोस कदम उठाएंगे?
रिपोर्ट.. पंडित जुगनू शर्मा
(जिला प्रभारी)
लोकेशन.. मुजफ्फरनगर