खतौली – तहसील बार एसोसिएशन खतौली के वकीलों ने बुधवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। हाईकोर्ट स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आह्वान पर अधिवक्ताओं ने तहसील में पूर्ण बंद कर पैदल मार्च निकालकर विरोध दर्ज कराया। इस दौरान अधिवक्ताओं द्वारा एक ज्ञापन प्रधानमंत्री के नाम उपजिलाधिकारी खतौली निकिता शर्मा को सौंपा गया। अधिवक्ताओं ने जोरदार नारेबाजी करते हुए हाईकोर्ट बेंच समेत अपनी मांगों को दोहराया।
खतौली के अधिवक्ताओं ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर 22 जिलों के लिए न्याय की सुलभता की अपील की। इस दौरान न्यायिक कार्य ठप रहा, जिससे वादकारियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा ।
तहसील बार एसोसिएशन खतौली के अध्यक्ष नवीन उपाध्याय का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विशाल आबादी के बावजूद यहां हाईकोर्ट की बेंच स्थापित नहीं की गई है। इसके कारण न्याय के लिए लोगों को इलाहाबाद या लखनऊ तक लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हाईकोर्ट बेंच न होने से मुकदमों के निस्तारण में भी अनावश्यक देरी होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मांग वर्षों से लंबित है, लेकिन सरकारें केवल आश्वासन देकर मामले को टालती रही हैं। बार पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जब तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना नहीं की जाती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने आवश्यकता पड़ने पर इसे और व्यापक रूप देने की चेतावनी भी दी।
महासचिव प्रदीप कुमार ने कहा कि भारतवर्ष के सबसे बडे राज्य उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट प्रयागराज में स्थित है। जिसकी एक बैंच उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित है। लखनऊ बैंच में आस-पास के 15 जिलो का क्षेत्राधिकार दिया गया है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी 22 जिलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद हाईकोर्ट को ही दिया गया है। सुगमता एव सुलभ न्याय पाना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर एवं अन्य जनपद से इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूरी लगभग 800 किलोमीटर से अधिक है। इस विषय में उल्लेखनीय है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिले जिनकी आबादी करीब 07 करोड से भी अधिक है तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं द्वारा करीब 50 वर्षों से बैंच स्थापना के लिए संघर्ष करने के बाद भी हाईकोर्ट की बैंच स्थापना के लिए केंद्र व राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। जिस कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्तागणों में काफी रोष व्याप्त है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं व वादकारियों के साथ यह अन्याय है।
विरोध प्रदर्शन में वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामचंद्र सैनी, कोषाध्यक्ष सावन कुमार, राजवीर सिंह, जितेंद्र त्यागी, दिमाग सिंह, सुभाष चंद्र, वेद प्रकाश उपाध्याय, सचिन आर्य, नवाब सिंह, लाल सिंह, अशोक अहलावत, राजगृही यादव, राजेश कुमार, प्रमोद शर्मा, मोहम्मद अरशद, मुकेश शर्मा, शाकिर मिर्ज़ा, संदीप कुमार, आदिल खान, अभिषेक गोयल, संत कुमार अहलावत, मोनू त्यागी, ललित कुमार, सीता राम, आनंद उपाध्याय, अशोक सैनी, सुमित कुमार, रवि कुमार, काजी मजाहिर, आकाश सैनी, पदम कुमार, विजेंद्र कुमार, मनीष कुमार, सचिन कुमार, अनुज जैन, अभिषेक भड़ाना, पंकज कुमार, अमित सैनी, तरुण मोघा, महताब अहमद, महराज अली, परविंदर कुमार आदि अधिवक्ता उपस्थित रहे।

रिपोर्ट. पंडित जुगनू शर्मा
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खतौली
