सऊदी अरब और परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान के बीच एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ है. इसके तहत पाकिस्तान या सऊदी, दोनों में से किसी भी देश के खिलाफ किसी भी आक्रामकता को दोनों के खिलाफ आक्रामकता माना जाएगा.

ईरान को पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए ‘मुस्लिम NATO’ वाली डील पसंद आई है. ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने बुधवार, 24 सितंबर को पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए पारस्परिक रक्षा समझौते का स्वागत किया है, इसे “व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली” की शुरुआत कहा है. पाकिस्तान और सऊदी के बीच हुए इस रक्षा समझौते के अनुसार उनमें से किसी भी देश पर किसी भी हमले को ‘दोनों के विरुद्ध आक्रमण’ माना जायेगा. यह कुछ ऐसा ही समझौता है जो पश्चिमी देशों के संगठन NATO में देखा जाता है.

पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की रियाद की राजकीय यात्रा के दौरान पिछले हफ्ते इस ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते’ पर मुहर लगी थी. समझौते पर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज ने हस्ताक्षर किए हैं.

ईरान को पसंद आया प्लान

ईरानी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र की आम बहस को संबोधित करते हुए इस रक्षा डील की तारीफ की है. उन्होंने कहा, “राजनीतिक सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में पश्चिम एशिया के मुस्लिम देश के सहयोग से एक व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली की शुरुआत हुई है. ईरान दो मुस्लिम देश भाई, सऊदी अरब साम्राज्य और पाकिस्तान के बीच रक्षात्मक समझौते का स्वागत करता है.”

मुस्लिम नाटो बनाने को तैयार पाकिस्तान?

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने शुक्रवार को संकेत दिया था कि कुछ देश इस समझौते के बाद पाकिस्तान के साथ रणनीतिक रक्षा समझौते बनाने में रुचि दिखा रहे हैं. डार ने लंदन में रिपोर्टरों से कहा, “अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन कुछ अन्य देश इस तरह के समझौते में प्रवेश करना चाहते हैं.”

इससे पहले पाकिस्तान के जियो न्यूज के एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सऊदी के साथ हुई डील पर बात की थी. यहां उनसे पूछा गया कि क्या और अधिक अरब देश ऐसे समझौतते का हिस्सा बन सकते हैं. इसपर आसिफ ने कहा: “मैं इसका समय से पहले जवाब नहीं दे सकता, लेकिन मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि दरवाजे बंद नहीं हुए हैं.”

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह देशों और यहां के लोगों, विशेषकर मुस्लिम आबादी का मौलिक अधिकार है कि वे मिलकर अपने क्षेत्र, देशों और राष्ट्रों की रक्षा करें.”

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