Chittorgarh Crime News : चित्तौड़गढ़ पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो ChatGPT की मदद से ऐसा काम कर रहा था, जिसकी कहानी सुनकर पुलिस भी हैरान थी.

चित्तौड़गढ़:
चित्तौड़गढ़ पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो नकली नोट बनाने और उन्हें बाजार में खपाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा था. पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने जो खुलासा किया, वह चौंकाने वाला है. उन्होंने बताया कि उन्होंने ChatGPT और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके नकली नोट बनाने की पूरी प्रक्रिया सीखी. यह मामला डिजिटल युग में AI के संभावित दुरुपयोग को उजागर करता है, जहां इसका इस्तेमाल अपराध के लिए किया जा रहा है.
ऐसे हुआ खुलासा
17 सितंबर को चित्तौड़गढ़ पुलिस ने तीन युवकों – आसिफ अली, आदिल खान और शाहनवाज खान को नकली नोट चलाते हुए रंगे हाथों पकड़ा. उनके पास से 500-500 रुपए के कुल 30 नकली नोट बरामद हुए, जिनकी कीमत लगभग 15,000 रुपए थी. ये सभी नोट एक ही सीरीज के थे.
गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे रेहड़ी-ठेले वालों, सब्जी विक्रेताओं और बुजुर्गों को निशाना बनाते थे, जिन्हें 500 रुपए का नकली नोट देकर सामान खरीदते थे. वे अपनी पहचान छुपाने के लिए फर्जी नंबर प्लेट वाली बाइक का इस्तेमाल करते थे. वे उन्हीं इलाकों में नोट चलाते थे, जहां उन्हें कोई जानता-पहचानता नहीं हो.
ChatGPT और सोशल मीडिया से मिली ट्रेनिंग
पुलिस जांच में आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने नकली नोट बनाने की तकनीक ऑनलाइन सीखी थी. गिरोह के मास्टरमाइंड आसिफ अली ने बताया कि उन्होंने ChatGPT और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध जानकारी का उपयोग किया. इसके बाद, उन्होंने ऑनलाइन ही विशेष पेपर, प्रिंटर, इंक, और केमिकल जैसे जरूरी सामान मंगवाए.
झालावाड़ में किराए के कमरे में चला रहे थे फैक्ट्री
नकली नोट छापने के लिए, उन्होंने झालावाड़ जिले के सारोला गांव में एक कमरा किराए पर लिया था. पुलिस ने वहां से एक प्रिंटर, विशेष पेपर, इंक, केमिकल, हरी टेप, सांचा और यहां तक कि वाटरमार्क बनाने के लिए लकड़ी का फ्रेम भी जब्त किया. यह दर्शाता है कि आरोपी पूरी तैयारी के साथ इस काम को अंजाम दे रहे थे.
AI के दुरुपयोग पर चिंता
इस घटना ने एक बार फिर AI और अन्य डिजिटल तकनीकों के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता बढ़ा दी है. जहां एक तरफ AI शिक्षा, स्वास्थ्य और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला रहा है. वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग इसका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों के लिए कर रहे हैं. पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस गिरोह के तार किसी बड़े नेटवर्क से जुड़े हैं? क्या उन्होंने इसी तरह की तकनीक का इस्तेमाल किसी अन्य अपराध के लिए भी किया है.
