आरोपी मौके से फरार हो गए हैं. वन विभाग ने लाल चंदन की करीब 200 से ज्यादा शाखाएं बरामद की हैं, जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 12 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है.

नई दिल्ली:

रील नहीं बल्कि रियल लाइफ में पुष्पा फिल्म जैसी चंदन लकड़ी की तस्करी का मामला सामने आया है. यह मामला महाराष्ट्र के पालघर का है, जहां से 4 टन यानी चार हजार किलो की एकदम असली शेषाचलम के जंगलों से निकली लाल चंदन की लकड़ियां बरामद की गई हैं. 

जानकारी के मुताबिक आरोपी मौके से फरार हो गए हैं. वन विभाग ने लाल चंदन की करीब 200 से ज्यादा शाखाएं बरामद की हैं, जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 12 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. अधिकारियों ने खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई को अंजाम दिया था लेकिन आरोपियों को इसकी भनक लग गई और वो मौके से फरार हो गए. 

छापेमारी में बरामद किए गए लाल चंदन की उच्च क्वालिटी बताई जा रही है. इस लाल चंदन को आंध्र प्रदेश के शेषाचलम के जंगलों से काटा गया है, वहीं इस क्वालिटी का लाल चंदन मिलता है. इस क्वालिटी के लाल चंदन की कीमत 2 से 5 करोड़ रुपये प्रति टन तक होती है. 

क्या है इस लाल चंदन की खासियत? 

  • रक्त चंदन या लाल सोना भी कहते हैं.
  • औषधीय गुणों से भरपूर है और ब्यूटी प्रोडक्‍ट्स में इस्तेमाल होता है.
  • इससे डेकोरेटिव आइटम्‍स भी बनाए जाते हैं.
  • सफेद चंदन में खुशबू होती है लेकिन इसमें ना के बराबर खुशबू होती है पर फिर भी इसका इस्तेमाल महंगे परफ्यूम बनाने में होता है.
  • मजबूती की वजह से घर और फर्नीचर बनाने में भी इस्तेमाल होता है.
  • संगीत के वाद्य यंत्र बनाने में भी इस्तेमाल होता है.

कहां मिलता है ये लाल चंदन? 

  • ज्यादातर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में होता है.
  • केरल और तेलंगाना के कुछ इलाकों में भी मिलता है.
  • आंध्र प्रदेश के शेषाचलम के जंगलों में उच्च क्वालिटी का मिलता है.
  • कडप्पा और तिरुपति जिले के 5 लाख हेक्टेयर में फैला है जंगल.
  • आंध्र प्रदेश में इसकी सुरक्षा में STF के जवानों के हवाले रहती है.

इस लाल चंदन की कितनी कीमत है? 

  • आमतौर पर 60 से 70 हजार रुपए किलो.
  • लेकिन अच्छे क्वालिटी की कीमत 2 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंचती है.
  • एक टन की तस्करी से 20 से 40 लाख.
  • एक टन की तस्करी में करीब 12 सौ फीसदी मुनाफे का अनुमान.

दुर्लभ क्यों है ये लाल चंदन? 

  • पेड़ों को बढ़ने में कम से कम 40 साल का वक्त लगता है.
  • जितनी डिमांड है उतनी सप्लाई नहीं होती है.
  • दुनिया भर से डिमांड लेकिन प्राकृतिक तौर पर सिर्फ भारत में मिलता है.
  • तस्करी की वजह से पेड़ों की संख्या में 50 फीसदी की कमी.


तस्करी क्यों और कहां? 
पेड़ों की कटाई पूरी तरह बैन है 
डिमांड ज्यादा होने की वजह से बड़े पैमाने पर तस्करी होती है 
चीन और जापान में बहुत ज्यादा डिमांड 
नेपाल और तिब्बत के रास्ते चीन तक होती है 
तस्करी के लिए चेन्नई, तूतीकोरिन, कोलकाता और मुंबई पोर्ट का इस्तेमाल
इसकी तस्करी सरसों की खली, नारियल के रेशे और नमक के बीच में छिपाकर की जाती है (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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