Pakistan ‘hybrid system’: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जज अतहर मिनल्लाह ने गुरुवार को कहा कि देश में प्रचलित “हाइब्रिड सिस्टम” की बात वास्तव में तानाशाही की उपस्थिति को स्वीकार करने के समान है.

पाकिस्तान में सरकार वहां की सेना चलाती है और यह बात किसी से भी छिपी नहीं है. जो नाम का लोकतंत्र था वह और रसातल में जाता जा रहा है. अब खुले रूप से इसे हाइब्रिड सिस्टम (सरकार-सेना दोनों का शासन) का नाम दिया जा रहा है और पाकिस्तान में आर्मी चीफ आसिम मुनीर की तानाशाही में शहबाज कठपुतली सरकार चला रहे हैं. अब सबकुछ परदे के सामने हैं, अब यह इतने खुले रूप में हो रहा है कि वहां के सुप्रीम कोर्ट के जज तक ने इसपर आपत्ति जताई है.

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जज अतहर मिनल्लाह ने गुरुवार को कहा कि देश में प्रचलित “हाइब्रिड सिस्टम” की बात वास्तव में तानाशाही की उपस्थिति को स्वीकार करने के समान है.

उन्होंने जो कहा देश में “संवैधानिक शासन की कमी” है और यही कानून या संविधान के शासन पर अभिजात्य वर्ग के कब्जे के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने बताया, “मुझे कई हाई कोर्ट के आदेशों में लिखना पड़ा कि देश में कानून या संविधान का कोई शासन नहीं है; कुलीन वर्ग का कब्जा है.”

उन्होंने कहा कि देश की न्यायपालिका का इतिहास “मेरे लिए गर्व करने लायक नहीं है”.

पाकिस्तान में ‘हाइब्रिड सिस्टम’

अभी पाकिस्तान में जैसे सरकार चलती है, उस खास सिस्टम का वर्णन करने के लिए विश्लेषकों ने ‘हाइब्रिड सिस्टम’ टर्म को गढ़ा था. यह अपने आप में शर्मनाक बात थी कि खुद को लोकतंत्र बताने वाले देश में सेना की तानाशाही चल रही है और ऐसा ही उसका इतिहास रहा है. लेकिन अब और भी शर्मनाक बात है कि ‘हाइब्रिड सिस्टम’ को स्पष्ट रूप से सम्मान के बैज के रूप में पहना जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जुलाई में ‘हाइब्रिड शासन’ की तारीफ की थी जो वर्तमान में देश चला रहा है.

अगर आपके लिए इस टर्म को और आसान भाषा में समझाएं तो इसमें सरकार और सेना पावर को साझा करती है. इसमें सेना मौजूदा नागरिक सरकार पर बहुत अधिक प्रभाव रखती है और सरकार कैसे चलेगी, किस मुद्दे पर क्या कदम उठागी, वो सबकुछ मैनेज करने के तरीके में एक बड़ी भूमिका निभाती 

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