कोर्ट ने कहा कि, गवर्मेंट को कदम उठाने चाहिए, लेकिन कानून के दायरे में रह कर. लोग दफ्तर नहीं जा पा रहे हैं. बच्चे कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं, सब्जियां खराब हो रही हैं. वो शहर में नहीं आ पा रही है.

मुंबई:
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच में आज AMY फाउंडेशन की याचिक पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर अब अगले हफ्ते की तारीख दी थी. कोर्ट ने कहा कि सरकार पुराने आदेश का पालन करे. लोगों का शहर में आना रोके. जस्टिस ने खुद एक रील दिखाया और कहा ये तो सिग्नल पर नाच रहे हैं. उन्होंने मराठा समुदाय के वकीलों से कहा कि आपको पता है, कि आपके लोग आपके कंट्रोल में नहीं हैं. कोर्ट ने सरकारी वकील से कहा कि हम आपको सब नियंत्रित करने के लिए दो दिन का समय देते हैं.
कोर्ट ने 27 तारीख को हुई सुनवाई में कहा था कि सभी को आंदोलन का अधिकार है, लेकिन शहर का माहौल खराब नहीं होगा चाहिए. इसके बाद मनोज जरांगे पाटिल को पुलिस प्रशासन ने शर्तों के आधार पर एक दिन की इजाजत दी और अब आज आंदोलन का चौथा दिन है.

मराठा समुदाय की तरफ से कोर्ट में इंटरविनर कैलाश खंडबलहले थे. कोर्ट ने पहले पूछा कि मनोज जरांगे पाटिल और आंदोलन कारियो की तरफ से कौन पेश हो रहा है. कोर्ट ने पूछा कि क्या मनोज जरांगे पाटिल को कोई नोटिस दी गई है. कोर्ट ने पिछले आदेश में कहा था कि, याचिका दाखिल करने वाले फाउंडेशन ने कहा कि इजाजत केवल आजाद मैदान के लिए दी गई थी.
बीरेंद्र शराफ ने कहा कि नियमों का उल्लंघन हुआ है. कोर्ट ने पूछा क्या कदम उठाए गए और जगह कहां दी गई? शराफ़ ने कहा कि आजाद मैदान और केवल एक दिन के लिए, अच्छी मंशा से एक दिन की परमिशन दी गई. सरकार की तरफ से कहा गया कि कोर्ट की तरफ से दी गई गाइडलाइन का उल्लंघन हुआ है.

बीरेंद्र शराफ ने कहा कि नियमों का उल्लंघन हुआ है. कोर्ट ने पूछा क्या कदम उठाए गए और जगह कहां दी गई? शराफ़ ने कहा कि आजाद मैदान और केवल एक दिन के लिए, अच्छी मंशा से एक दिन की परमिशन दी गई. सरकार की तरफ से कहा गया कि कोर्ट की तरफ से दी गई गाइडलाइन का उल्लंघन हुआ है.
इधर मराठा आरक्षण आंदोलन की कवरेज के दौरान कुछ महिला पत्रकारों और कैमरामैन के साथ दुर्व्यवहार की घटना भी मुंबई के आज़ाद मैदान में सामने आई है. इसको लेकर, ब्लैक पैंथर नाम की एक पार्टी ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर प्रदर्शनकारियों की तत्काल जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. इसमें कहा गया कि पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार निंदनीय है और मीडिया की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाए.
