आजादी के इतने साल बाद भी हिंदू-मुस्लिम संघर्ष की स्थिति पर चिंता जताते हुए भागवत ने कहा कि दोनों समुदायों के बीच अविश्वास का कारण ऐतिहासिक भय और गलतफहमियां हैं. इन्हें दूर करना जरूरी है.

नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन था, जिसका संघ ने समर्थन किया था और वह काशी-मथुरा जैसे इस तरह के किसी अन्य अभियान का समर्थन नहीं करेगा. हालांकि भागवत ने स्पष्ट किया कि आरएसएस के स्वयंसेवक ऐसे आंदोलनों में शामिल होने के लिए स्वतंत्र हैं.
सिर्फ राम मंदिर आंदोलन को संघ का समर्थन
नई दिल्ली में विज्ञान भवन में तीन दिवसीय व्याख्यान शृंखला के अंतिम दिन सवालों के जवाब में, संघ प्रमुख ने कहा कि राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन रहा जिसका आरएसएस ने समर्थन किया है. अब वह किसी अन्य आंदोलन में शामिल नहीं होगा. लेकिन हमारे स्वयंसेवक इसमें शामिल हो सकते हैं. काशी-मथुरा में आंदोलनों का संघ समर्थन नहीं करेगा, लेकिन स्वयंसेवक इसमें भाग ले सकते हैं.
हिंदू-मुस्लिम में संघर्ष क्यों, भागवत ने बताया
भागवत ने आजादी के 78 वर्ष बाद भी हिंदू-मुस्लिम संघर्ष की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि दोनों समुदायों के बीच अविश्वास का कारण ऐतिहासिक भय और गलतफहमियां हैं. उन्होंने कहा कि हिंदू मुसलमान दोनों इस देश के नागरिक हैं, सिर्फ पूजा पद्धति का ही तो फर्क है. लेकिन कुछ लोगों में डर भर दिया गया है कि अगर वो (दूसरे समुदाय के लोग) यहां रहेंगे तो क्या होगा, देश टूट जाएगा. ऐसी सोच गलत है.
गलतफहमी हटाना जरूरी है
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग स्प्रिचुएलिटी को भूल गए हैं. उनके मन में ये है कि साथ रहने पर हमारा इस्लाम चलेगा कि नहीं. गलतफहमी हटानी जरूरी है. इस्लाम नहीं रहेगा, ऐसा सोचने वाले हिंदू नहीं है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों में कॉन्फिडेंस बने, तभी ये संघर्ष खत्म होंगे. हम सबको मानना होगा कि हम सब एक हैं. हमारा देश, राष्ट्र, संस्कृति सबसे ऊपर है. हम सभी एक हैं.
