लाला लाजपत राय मेडिकल मेरठ के मेडिसिन विभाग में सरकार के संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के क्रम में डेंगू मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम व उपचार संबंधित गतिविधियों को प्राथमिकता देते हुए मेडिसिन के सेमिनार हॉल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय, नेशनल गाइडलाइन फॉर क्लिनिकल मैनेजमेंट ऑफ डेंगू फीवर रहा।
मेडिकल कॉलेज मेरठ के आंतरिक चिकित्सा विभाग ने डेंगू बुखार के नैदानिक प्रबंधन पर एक विशेष शैक्षणिक सत्र का आयोजन किया।
विभागाध्यक्ष डॉ. योगिता सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज मेरठ की संचारी रोग प्रभारी डॉ स्नेह लता वर्मा (सह-आचार्य मेडिसिन विभाग) ने अपने विचार साझा किये।
कार्यक्रम में निम्न प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गयी:
- डेंगू का बढ़ता प्रभाव:
उत्तर प्रदेश सहित भारत के विभिन्न क्षेत्रों में डेंगू के बढ़ते प्रकोप पर चिंता व्यक्त की गई। - नैदानिक संकेतक:
- तीव्र बुखार, रेट्रो-ऑर्बिटल दर्द तथा त्वचा पर लाल चकत्ते जैसे प्राथमिक लक्षण
- गंभीर डेंगू के चेतावनी संकेत: पेट में तीव्र दर्द, लगातार उल्टी, श्लेष्मा झिल्लियों से रक्तस्राव
- वैज्ञानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल:
- निदान: एनएस१ एंटीजन जाँच की महत्ता
- उपचार: तरल पदार्थ प्रबंधन पर जोर, एनएसएआईडी दवाओं से परहेज
- गंभीर स्थितियाँ: प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन मानदंडों पर विस्तृत मार्गदर्शन
- टीकाकरण अद्यतन:
भारत में उपलब्ध डेंगू टीकों (विशेषकर क्यूडेंगा) की प्रभावकारिता, उपयुक्त आयु समूह (६-४५ वर्ष) और सीरो-स्टेटस आवश्यकताओं पर चर्चा
- डॉ अरविंद कुमार (आचार्य मेडिसिन विभाग ) ने डेंगू से बचाव के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि
- मच्छरों के प्रजनन को रोकें:
- घर और आस-पास पानी जमा न होने दें। कूलर, गमले, टायर, पुरे बर्तन आदि को नियमित रूप से खाली करके सुखाएँ।
- पानी की टंकियों और कंटेनरों को ढककर रखें।
- सप्ताह में एक बार अपने घर की छत और बालकनी की जाँच करके स्थिर पानी को हटाएँ।
- व्यक्तिगत सुरक्षा अपनाएँ:
- पूरी बाँह के कपड़े और फुल पैंट पहनें।
- दिन के समय, विशेषकर सुबह और शाम के समय, मच्छरों से बचाव के लिए मच्छररोधी क्रीम (रेपेलेंट) का उपयोग करें।
- घर में मच्छरदानी और खिड़कियों पर मच्छररोधी जाली लगवाएँ।
- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, खासकर बच्चों और बीमार व्यक्तियों के लिए।
- सामुदायिक जागरूकता:
- आस-पड़ोस में स्वच्छता बनाए रखने और मच्छरों के प्रजनन स्थलों को हटाने के लिए समुदाय को जागरूक करें।
उपरोक्त सेमिनार में डॉ आभा गुप्ता आचार्य मेडिसिन विभाग, डॉ संध्या गौतम,डॉ श्वेता शर्मा, डॉ विवेक ऋषि व मेडिसिन विभाग के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ ने सक्रिय रूप से भागीदारी की।
प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने कहा कि यह सत्र हमारे चिकित्सकों को डेंगू के अद्यतन नैदानिक दिशानिर्देशों से लैस करेगा। रोकथाम और प्रारंभिक हस्तक्षेप इस जानलेवा रोग से निपटने की कुंजी है। केवल उपचार ही नहीं, बल्कि जन-जागरूकता के माध्यम से डेंगू के प्रसार को रोका जा सकता है।


