दिल्ली एमसीडी अधिकारी ने बताया है कि अगर दिल्ली में शमशान घाट पर लकड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया जाएं कुल मिलाकर प्रतिदिन लगभग 4 लाख किलो गोबर के उपलों की जरूरत पड़ेगी
दिल्ली नगर निगम ने अपने अधीन आने वाले श्मशान घाट को एक महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए दाह संस्कार के दौरान लगने वाली कुल लकड़ी 20 प्रतिशत गोबर से बने उपले इस्तेमाल करने को कहा है अधिकारियों का कहना है कि यह कदम पर्यावरण को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है खास बात यह है कि उपलों गोबर के साथ साथ पराली मिलाकर तैयार किया जाएगा जिसके कारण यह दोहरे तरीके से पर्यावरण को बचाने में काम आएगा और पराली इस्तेमाल हो जाएंगी और अंत्येष्टि में जलाई जाने वाली लकड़ी को भी बचाया जा सकता है अधिकारियों का कहना है कि हम 20 प्रतिशत गोबर के उपलों से शुरुआत कर रहे है अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो आगे इसकी मात्रा और भी बढ़ाई जाएगी इस बारे मे जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया है कि इस पहल के पर्यावरणीय और तार्किक कम होगी बल्कि शहर के प्रबंधन में भी मदद मिलेगी साथ ही उन्होंने कहा कि लोग गाय के गोबर को एक पवित्र सामग्री मानते हैं लेकिन दाह संस्कार के लिए इसकी स्वीकार्यता भी अब धीरे धीरे विकसित हो रही है हालांकि इसे पूरी तरह से अपनाने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा

दिल्ली रिपोर्टर नरेश शर्मा की रिपोर्ट
