सूरत। एक तरफ जहां सूरत शहर ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में अपनी लगातार शानदार प्रदर्शन की परंपरा को बरकरार रखते हुए “सुपर स्वच्छ लीग” कैटेगरी में देशभर में नाम रोशन किया, वहीं दूसरी ओर शहर के रांदेर क्षेत्र में गंदगी और कचरे के ढेरों ने स्वच्छता पुरस्कार की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गुरुवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल, सूरत के मेयर दक्षेश मावाणी और पालिका कमिश्नर शालिनी अग्रवाल को सम्मानित किया। सूरत को 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में स्वच्छता का यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला।
लेकिन इसी सम्मान के ठीक बाद शहर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। रांदेर और ग्रीनपार्क सोसाइटी के रहवासियों का कहना है कि इलाके में लंबे समय से कचरे के ढेर लगे हैं, आवारा कुत्तों की भरमार है और डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की सुविधा भी नियमित नहीं मिल रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार शिकायतें करने के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
सबसे हैरानी की बात यह है कि कचरे के ढेर स्थानीय कॉर्पोरेटर के घर के पास ही देखे गए हैं। इस स्थिति ने लोगों को यह कहने पर मजबूर कर दिया है कि “दीये तले अंधेरा” की कहावत यहां बिल्कुल सटीक बैठती है।
अब देखना यह है कि पुरस्कार हासिल करने वाली सूरत महानगरपालिका, जमीनी हकीकत सुधारने की दिशा में कितनी तत्परता दिखाती है और क्या आने वाले दिनों में रांदेर और अन्य क्षेत्रों के लोग वास्तव में स्वच्छता का अनुभव कर सकेंगे या नहीं।



News by
Mayank Agarwal
Gujarat State office
