*सरकार कहती है — हम सुशासन में विश्वास करते हैं, हम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएंगे… लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है।*यह तस्वीरें किसी परित्यक्त इमारत की नहीं… बल्कि उन सरकारी स्कूलों की हैं जहाँ हमारे देश का भविष्य शिक्षा पा रहा है। सवाल ये है कि — क्या सरकार के पास इन स्कूलों की मरम्मत के लिए बजट नहीं? *चमचमाते नये बंगले लेकिन दूसरी ओर, सरकार के पास मंत्रियों के लिए नवा रायपुर में नए आलीशान बंगले बनाने के लिए बजट है, और अब उनमें शिफ्टिंग की तैयारियाँ जोरों पर* हैं।एक तरफ शिक्षा की दुर्दशा… दूसरी तरफ 67 नई शराब दुकानें खोलने की तैयारी। ये वही सरकार है जो बच्चों को *किताबें देने में देर करती है…* *लेकिन शराब बेचने में तेज़ी दिखाती है।* *हमारे बच्चों को स्कूल में पीने का पानी नहीं है, छत गिरती है… पर सरकार को बस शराब और बंगले चाहिए।”** *क्या ये सरकार नहीं चाहती कि बच्चे शिक्षित हों? क्योंकि अगर वे शिक्षित होंगे, तो जागरूक होंगे। और अगर जागरूक होंगे… तो सवाल भी पूछेंगे।**शिक्षा के नाम पर बड़े-बड़े वादे, लेकिन हकीकत में जर्जर स्कूल… सवाल ये है कि क्या सरकार की* प्राथमिकताओं में शिक्षा अब भी है? किसान हितैषी बताने वाली चाहे कांग्रेस कि सरकार हो वर्तमान कि भाजपा सरकार इनके कथनी और करनी में ज़मीन आसमान का अंतर है यदि सच में किसान हितैसी होते तो आज किसानों को खाद के लिए भटकना नहीं पड़ता। अपराध के लिए जीरो टोलरेंस का दावा करने वाली साय सरकार कि पोल तो डोंगरगढ़ जैसे धर्मनगरी कहे जाने वाले शहर और आसपास क्षेत्र में लगातार हत्या जैसे गंभीर घटना ने पोल खोल दी है। सुशासन तिहार मनाने या बैनर पोस्टर लगाने से बच्चों का भविष्य उज्जवल नहीं होगा माननीय मुख्यमंत्री जी शिक्षा कि गुणवत्ता सुधारने से जर्ज़र स्कूलों कि मरम्मत और नई स्कूलों के निर्माण से बच्चों और युवाओं का भविष्य उज्जवल होगा। लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही बयां करती है हर गांव गली होटल ढाबों में बिना किसी डर के धड़ल्ले से अवैध शराब कि खुलेआम बिक्री और शराब बंदी करने के बजाये नये नये शराब दुकान खोले जा रहे। क्या यही सुसाशन कि सरकार है।*

रिपोर्ट : एन के सिन्हा

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