ब्रुसेल्स/नई दिल्ली।भारत ने एक बार फिर वैश्विक प्रशासनिक मंच पर अपनी उपस्थिति का परचम लहराया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वरिष्ठ अधिकारी वी. श्रीनिवास को इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव साइंसेज (IIAS) का अध्यक्ष चुना गया है। 100 वर्षों के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय को इस प्रतिष्ठित संस्था का नेतृत्व सौंपा गया है।

ब्रूसेल्स में हुए चुनाव में श्रीनिवास को मिली स्पष्ट जीत

3 जून को बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में IIAS की एक्स्ट्रा-ऑर्डिनरी जनरल असेंबली के दौरान हुए चुनाव में श्रीनिवास ने ऑस्ट्रिया के उम्मीदवार को हराया। कुल 141 वोटों में से उन्हें 87 मत प्राप्त हुए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को सिर्फ 54 वोट मिले।

मलेरिया प्रभावित गांव से अंतरराष्ट्रीय मंच तक का सफर

वी. श्रीनिवास का जन्म 1 सितंबर 1966 को तेलंगाना (तत्कालीन आंध्रप्रदेश) में हुआ था। उनका बचपन अरावू घाटी के मलेरिया प्रभावित एक ग्रामीण क्षेत्र में बीता, जहां उनके पिता एक एन्टोमोलॉजिस्ट (कीट वैज्ञानिक) के रूप में नेशनल मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा वैदिक व संस्कृत ग्रंथों के अध्ययन से हुई और स्थानीय पंचायत स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद की ओस्मानिया यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक किया।

22 वर्ष की उम्र में IAS बने, डिजिटलीकरण की दिशा में अहम भूमिका

श्रीनिवास महज 22 वर्ष की उम्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हो गए। उन्होंने विदेश मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय में सेवाएं दीं। AIIMS दिल्ली में डिप्टी डायरेक्टर रहते हुए उन्होंने ‘डिजिटल AIIMS’ प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जिसके तहत ई-हॉस्पिटल सिस्टम लागू किया गया। इससे मरीजों को पंजीकरण से लेकर इलाज तक की प्रक्रिया में भारी राहत मिली।

भारत के लिए गौरव का क्षण

वी. श्रीनिवास की यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और समर्पण का परिणाम है, बल्कि यह भारत की प्रशासनिक क्षमताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला एक ऐतिहासिक क्षण भी है। साल 2025 से 2028 तक वे IIAS के अध्यक्ष के रूप में वैश्विक प्रशासनिक शोध और सहयोग को नया आयाम देंगे।

:- 𝗥𝗮𝗺 𝗡𝗮𝗿𝗲𝘀𝗵 𝗦𝗶𝗻𝗵

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