जरांगे पाटिल ने भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि वह “थोड़े दिनों के मेहमान” हैं. उन्होंने कहा, “आखिर शरीर है. कुछ कहा नहीं जा सकता.” उनका मुख्य उद्देश्य है कि उनके गरीब समाज के बच्चों के जीवन का कल्याण हो जाए.

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने खराब स्वास्थ्य के बावजूद, बीड के नारायण गढ़ में आयोजित दशहरा मेले को संबोधित किया. अपने भाषण में उन्होंने मराठा आरक्षण और किसानों की समस्याओं पर ज़ोरदार तरीके से अपनी बात रखी. जरांगे पाटिल ने भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि वह “थोड़े दिनों के मेहमान” हैं. उन्होंने कहा, “आखिर शरीर है. कुछ कहा नहीं जा सकता.” उनका मुख्य उद्देश्य है कि उनके गरीब समाज के बच्चों के जीवन का कल्याण हो जाए.

उन्होंने मराठा समुदाय से पीछे न हटने का आह्वान करते हुए कहा, “मैं जब तक हूं, तब तक मेरे समाज के बच्चों को आरक्षण मिला हुआ देखना चाहता हूं.” उन्होंने कहा कि समुदाय ने साथ दिया है, इसलिए जीआर (शासकीय निर्णय) लेकर मराठों ने लड़ाई जीत ली है और अब उन्हें कोई चिंता नहीं है.


जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र सरकार से सार्वजनिक रूप से निम्नलिखित मांगें पूरी करने को कहा:

  • मराठवाड़ा और आस-पास के ज़िलों में सूखा घोषित करें.
  • यह घोषणा दिवाली के भीतर की जाए.
  • किसानों को ₹70,000 प्रति हेक्टेयर नकद अनुदान दिया जाए.
  • उन्होंने सरकार को एक सीधा सुझाव देते हुए कहा कि हर सरकारी अफ़सर की आय का चौथाई हिस्सा बांटकर किसानों को दे दिया जाए.


जरांगे पाटिल ने राज्य और देश के शीर्ष नेताओं की संपत्ति पर सवाल उठाए. उन्होंने देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, सोनिया गांधी, राज ठाकरे, नारायण राणे और छगन भुजबल का नाम लेते हुए पूछा कि क्या उनकी संपत्ति कम है? किसानों की मदद के लिए उन्होंने हीरे-मोती व्यापारियों और यहां तक कि फिल्म अभिनेता शाहरुख खान जैसे अमीर लोगों से धन उगाहने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि शाहरुख खान जैसे “मुस्लिम हीरो” से एक-एक करोड़ लेकर हज़ारों करोड़ रुपये इकट्ठा किए जा सकते हैं, और मुख्यमंत्री ऐसा क्यों नहीं कर सकते.


जरांगे पाटिल ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण मांगें

  • किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाए.
  • आत्महत्या करने वाले किसान के बेटे को सरकारी नौकरी मिले.
  • कृषि को रोज़गार का दर्जा दिया जाए और मासिक वेतन शुरू किया जाए.

उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर दिवाली तक किसानों की मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वह धाराशिव, बीड या अहिल्यानगर की सीमा पर बैठक करके अगले आंदोलन का फैसला लेंगे.

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