भिंडर नगर के दिगंबर जैन समाज के दश लक्षण महापर्व पर रावली पोल स्थित पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विदिशा से पधारे पंडित अशेष जी शास्त्री ने धर्म सभा में दश लक्षण पर्व पर अपने प्रवचन में बताया कि दश लक्षण पर्व भोग के नहीं अपितु त्याग के पर्व है ,जो वीतरागता का पोषक तथा संयम एवं साधना का पर्व है, इसीलिए इसे महापर्व कहा जाता है। क्षमा आत्मा का स्वभाव है उत्तम क्षमा वीतरागता से होती है। क्षमा स्वभावी आत्मा के आश्रय से आत्मा में जो क्रोध का अभाव रूप शांति स्वरूप पर्याय प्रकट होती है उसे ही क्षमा कहते हैं। क्षमा के साथ लगा ,उत्तम, शब्द सम्यक दर्शन का सूचक है। हमें उत्तम क्षमा को समझना चाहिए इसको धारण कर तत्व ज्ञान में धर्म मैं अध्यात्म जगत में प्रवेश चाहता है तो उसके लिए प्रथम शर्त है क्षमा को समझना ,जानना एवं धारण करना। अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन के सुनील वक्तावत में बताया है कि प्रतिदिन मंदिर की में सुबह श्री जी का जलाभिषेक एवं नित्य नियम पूजा होती है उसके पश्चात निश्चय व्यवहार पर पंडित जी से अशेष जी शास्त्री विदिशा द्वारा निश्चय व्यवहार पर प्रवचन होता है। तेरापंथ समाज के मंत्री सूरजमल फाडोत ने बताया कि सायकल वीतराग विज्ञान बच्चों की पाठशाला लगती है, जिसमें जैन धर्म पर आधारित ज्ञान पहेली एवं एक
मिनट प्रतियोगिता आदि सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं तथा महिला मंडल द्वारा एवं बच्चों द्वारा जिनेंद्र भक्ति के पश्चात प्रवचन होता है।



रिपोर्ट केलास तेली भींडर उदयपुर राजस्थान
