सूरत शहर में मानसून की शुरुआत के साथ ही सड़कों की हालत बेहद खराब हो गई है। स्मार्ट सिटी कहलाने वाला सूरत अब “खड्डा सिटी” बनता जा रहा है। शहर की अधिकतर सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन खस्ताहाल सड़कों की मरम्मत कराने के बजाय पालिका के कुछ अधिकारी यह कहकर तुलना कर रहे हैं कि “कोई इन सड़कों पर मरा नहीं है” और “पालिका की सड़कें हाईवे से भी बेहतर हैं।”
पालिका अधिकारियों की इस लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना रवैये को लेकर जनता में भारी रोष व्याप्त है। इसी बीच आज पालिका कमिश्नर ने एक अहम बैठक बुलाई जिसमें शहर में चल रही सड़कों की मरम्मत को लेकर समीक्षा की गई।
बैठक के दौरान जब अधिकारियों ने जवाब दिया कि सभी टूटी हुई सड़कें डीएलपी (Defect Liability Period) के अंतर्गत आती हैं और ठेकेदारों से मरम्मत करवा ली जाएगी, तो कमिश्नर भड़क उठे। उन्होंने सख्त लहजे में पूछा – “अगर सड़कें डीएलपी में आती हैं तो क्या इसका मतलब ये है कि जनता को गड्ढों वाली सड़कों पर चलने के लिए मजबूर किया जाए?”
कमिश्नर ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि “सिर्फ कागज़ पर काम करने से कुछ नहीं होगा। यदि आप ठेकेदारों को नोटिस नहीं देंगे तो मैं खुद आपको शो-कॉज़ नोटिस जारी करूंगा।”
कमिश्नर के इस सख्त रुख के बाद ठेकेदारों और उनकी ओरदारी में लगे अधिकारियों की बोलती बंद हो गई। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब सिर्फ रिपोर्ट नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्यवाही नजर आनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि कार्य में लापरवाही बरती गई तो सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
सूरत की जनता को अब उम्मीद है कि कमिश्नर की सख्ती के बाद शहर की सड़कों की हालत में जल्द सुधार देखने को मिलेगा।


Commisioner of Surat – Smt Shalini Agarwal
News by
Mayank Agarwal
Gujarat State office
